बेंगलूरु/भाषा। कर्नाटक सरकार ने राज्य में काम कर रहे अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों पर नकेल कसने की योजना बनाई है।
गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों से देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा होने को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे अवैध प्रवासियों का पता लगाने के लिए पुलिस द्वारा एक सर्वेक्षण किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पुलिस को राज्य के कुछ हिस्सों में, खासकर कोडागु और चिक्कामंगलूरु जिलों में उनके कॉफी बागानों में मजदूरों के रूप में काम करने की जानकारी मिली है।
ज्ञानेंद्र ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘उनका पता लगाने और पकड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।’
उन्होंने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी प्रवासी भारत में घुसने के बाद असम और पश्चिम बंगाल में राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड भी बनवा लेते हैं। यह एक बड़ा रैकेट है और इस नेटवर्क पर नकेल कसने की जरूरत है।
मंत्री ने कहा, ‘ये देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा हैं।’
ज्ञानेंद्र ने यह भी कहा कि राज्य में हाल के दिनों में साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और पुलिस इस मुद्दे को हल करने के लिए बैंक प्रबंधन के सम्पर्क में है।
कर्नाटक सरकार ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए राज्य कर्मियों को प्रशिक्षण देने के वास्ते गुजरात के अपने समकक्ष के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए हैं।
मंत्री ने कहा, ‘हम अपने साइबर प्रकोष्ठ के 60 पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण के लिए गुजरात भेज रहे हैं।’
मादक पदार्थों के खतरे को लेकर ज्ञानेंद्र ने कहा कि कर्नाटक पुलिस केन्द्रीय एजेंसियों के सम्पर्क में है और ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए पड़ोसी राज्यों के साथ समन्वय को मजबूत किया जा रहा है।
उन्होंने विधानसभा द्वारा पारित किए ‘धर्मांतरण रोधी विधेयक’ पर कहा कि सरकार का इरादा अध्यादेश लाने का है, लेकिन साथ ही सरकार आगामी बजट सत्र में इसे उच्च सदन में पारित कराने पर भी विचार कर रही है।
विधेयक अभी विधान परिषद में पारित नहीं हो पाया है, जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पास बहुमत नहीं है।
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