बेंगलूरु/भाषा। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. के. सुधाकर ने बुधवार को कहा कि लोगों को अगले चार से छह सप्ताह तक सतर्क रहने की जरूरत है ताकि राज्य में कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर और वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के प्रसार को नियंत्रित किया जा सके।
मंत्री ने लोगों से सरकार द्वारा घोषित दिशा-निर्देशों और रोकथाम के उपायों का पालन करने तथा प्रशासन के साथ सहयोग करने का आह्वान किया।
सुधाकर ने कहा, ‘मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक के बाद कोविड-19 संबंधी नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। लोगों से मेरी अपील है कि चार से छह सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है। जैसा कि हमने दुनिया भर में देखा है, संक्रमण पांच से छह सप्ताह में घट रहा है। यह लहर पहली और दूसरी लहर की तरह बहुत लंबे समय तक नहीं होगी, जो करीब तीन से चार महीने तक रही थी।’
सुधाकर ने यहां पत्रकारों से कहा कि संक्रमण की यह नयी लहर बेहद तेजी से फैलती है और उसी क्रम में घटेगी भी। उन्होंने कहा, ‘अगर हम कम से कम चार से छह सप्ताह तक सतर्क रहते हैं, तो हम इसे नियंत्रित करने में सक्षम होंगे।’ उन्होंने कहा कि संक्रमण के मामले में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
कोविड-19 की तीसरी लहर से निपटने के लिए कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को 19 जनवरी तक सप्ताहांत में कर्फ्यू लगाने और सार्वजनिक समारोहों को प्रतिबंधित करने का फैसला किया। साथ ही, रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक दैनिक रात्रि कर्फ्यू को दो और सप्ताह तक बढ़ाने का फैसला किया है।
मंत्री ने वायरस के प्रसार को रोकने में विपक्षी दलों और संगठनों सहित सभी हितधारकों से सहयोग मांगा।
संक्रमण के फैलने और सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बीच कांग्रेस द्वारा नौ जनवरी से मेकेदातु पदयात्रा (मार्च) आयोजित करने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘लोग फैसला करेंगे। वे सब कुछ देख रहे हैं। हमने (सरकार ने) द्वेष के बिना ये दिशानिर्देश जारी किए हैं। हमलोग संक्रमण को फैलते हुए देख रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस समझ जाएगी, क्योंकि वे भी जनहित की रक्षा करना चाहते हैं। वे भी लंबे समय तक सरकार में रहे हैं।’
यह पूछे जाने पर कि क्या उल्लंघन पर कोई कार्रवाई होगी, उन्होंने कहा, ‘कानून अपना काम करेगा।’ कावेरी नदी पर मेकेडातु परियोजना को लागू करने की मांग को लेकर कांग्रेस मेकेडातु से बेंगलूरु तक 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर पदयात्रा का आयोजन कर रही है, जिसका पड़ोसी तमिलनाडु द्वारा विरोध किया जा रहा है।
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