मेंगलूरु/भाषा। कर्नाटक में उडुपी जिले के सरकारी जी शंकर मेमोरियल महिला प्रथम श्रेणी डिग्री कॉलेज में पढ़ने वाली, अंतिम वर्ष की करीब 60 छात्राओं को बृहस्पतिवार को इसलिए घर वापस भेज दिया गया, क्योंकि उन्होंने अपना हिजाब उतारने से मना कर दिया था।
मुस्लिम छात्राओं ने कॉलेज प्रशासन से इस बात को लेकर बहस की कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि डिग्री कॉलेजों में किसी प्रकार की वर्दी संहिता नहीं है लेकिन अधिकारियों ने कहा कि कॉलेज विकास समिति ने नियम तय किए हैं।
छात्राओं ने इस बात पर जोर दिया कि वह बिना सिर ढके कक्षाओं में शामिल नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि उनके लिए हिजाब और शिक्षा दोनों अहम हैं। वे यह भी चाहती थीं कि अगर सरकार ने डिग्री कॉलेजों में वर्दी संहिता लाने का फैसला किया है तो कॉलेज की समिति यह लिखित में दे।
एक छात्रा ने संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि डिग्री कॉलेजों में हिजाब संबंधी नियम लागू नहीं होता है। उन्होंने कहा "जब हमने इसके बारे में पूछा, तो वे कहते हैं कि केवल कॉलेज समिति का निर्णय यहां लागू होता है।"
उन्होंने कहा कि हिजाब उनके जीवन का हिस्सा है और वे इसे हर समय कक्षाओं में पहनी रहती हैं। उन्होंने कहा, "जब कोई अचानक आपसे इसे उतारने के लिए कहता है तो इसे नहीं उतारा जा सकता है। हमने कॉलेज से हमारे लिए ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित करने के लिए कहा है।"
छात्राओं ने कहा कि जब तक उच्च न्यायालय इस मुद्दे पर फैसला नहीं ले लेता तब तक वे कॉलेज आकर कक्षाओं में शामिल नहीं होंगी। कॉलेज में कक्षाएं सुचारू रूप से चल रही हैं। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए कॉलेज परिसर में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
इस बीच, उडुपी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सिद्दलिंगप्पा ने मीडिया को बताया कि कॉलेज दोबारा खुलने के दूसरे दिन, जिले के सभी कॉलेजों में स्थिति शांतिपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि उन मुस्लिम छात्राओं को सरकारी जी शंकर कॉलेज में कक्षाओं में शिरकत करने की इजाज़त दी गई है जो हिजाब उतारने की इच्छुक थीं। एमजीएम कॉलेज ने आज छुट्टी का ऐलान किया था और वह शुक्रवार को परीक्षा के लिए खुलेगा।
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