बेंगलूरु। भारत और यूरोपीय आयोग ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भागीदारी के लिए सोमवार को भारतीय अंतरिक्ष विभाग के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। इस समझौते से दोनों पक्षों को अंतरिक्ष शोध के लिए एक-दूसरे के अंतरिक्ष अभियानों और कार्यक्रमों का फायदा मिल सकेगा। इस समझौते के तहत यूरोपीय संघ के कोपरनिकल अर्थ ऑब्जर्वेशन एंड मॉनीटरिंग कार्यक्रम का फायदा भारत को मिलेगा। वहीं, भारत के दूरसंवेदी उपग्रहों के डाटा का फायदा इस कार्यक्रम के भागीदार देशों के साथ ही यूरोपीय संघ को भी मिलने लगेगा। उल्लेखनीय है कि यूरोपीय संघ के कोपरनिकल कार्यक्रम से जलवायु परिवर्तन, भूमि, समुद्र और मौसम की निगरानी के साथ ही मौसम की भविष्यवाणी, प्रबंधन और प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को न्यूनतम सीमा में नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी। इस कार्यक्र की मुक्त डाटा नीति की विशेषताओं को पूरी दुनिया स्वीकार चुकी है। वहीं, भारत द्वारा विकसित महत्वकांक्षी भू-निगरानी प्रणाली का फायदा यूरोपीय संघ को पहुंचाया जाएगा। इस प्रणाली का प्रबंधन अंतरिक्ष विभाग करता है, जबकि भारतीय अंतरिक्षा अनुसंधान संस्थान (इसरो) इस प्रणाली का संचालन किया करता है। यूरोपीय संघ और भारतीय अंतरिक्ष विभाग ने महसूस किया है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा तय किए गए सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सभी देशों को आपसी सहयोग का मजबूत मंच तैयार करने की जरूरत है। आज हुए द्विपक्षीय समझौते के तहत यूरोपीय संघ अपने कोपरनिकस सेंटिनेल परिवार के उपग्रहों से मिलने वाले डाटा संपूर्ण, नि:शुल्क और मुक्त रूप से उपलब्ध करवाएगा। इसके बदले में कोपरनिकस प्रोग्राम के लिए भारतीय अंतरिक्ष विभाग इसरो द्वारा धरती की निगरानी के लिए अंतरिक्ष भेजे गए उपग्रहों की श्रृंखला से मिलने वाला डाटा यूरोपीय संघ की अंतरिक्ष एजेंसियों को उपलब्ध करवाएगा।
सतत विकास के लिए भारत और यूरोपीय संघ में डाटा आदान-प्रदान का समझौता
सतत विकास के लिए भारत और यूरोपीय संघ में डाटा आदान-प्रदान का समझौता