पेरिस/दक्षिण भारत। यूरोप की मशहूर विमान निर्माता कंपनी एयरबस ने घोषणा की है कि वह ए380 विमानों का उत्पादन बंद करेगी। यह सुपरजंबो डबलडेकर विमान यात्रियों द्वारा तो काफी पसंद किए जाते रहे हैं, लेकिन एयरलाइंस इसके इस्तेमाल से हाथ खींच रही हैं। माना जा रहा है कि इसके पीछे अहम वजह विमान की ज्यादा लागत है।
ऐसे में एयरबस ने यह फैसला लिया है कि वह 2021 से ए380 विमानों की आपूर्ति बंद करेगी। बता दें कि ये विमान करीब एक दशक से आसमान में उड़ान भर रहे हैं। हाल में दुबई की एमिरेट्स एयरलाइन ने भी एयरबस को भेजे एक ऑर्डर में 39 विमानों की कटौती कर दी। वहीं एयरबस ने एक बयान में बताया कि परिचालन की समीक्षा, विमान और इंजन प्रौद्योगिकी में घटनाक्रमों के बाद एमिरेट्स ने विमान का ऑर्डर घटाया है।
21वीं सदी में कई वर्षों तक आसमान में अपना जलवा दिखाने वाले ए380 विमान से जुड़ी इस खबर से उसके प्रशंसकों को निराशा हो सकती है। दुनिया के सबसे बड़े विमान विक्रेताओं में से एक इस कंपनी ने ए380 में कई खूबियां शामिल की थीं। शानदार कैबिन युक्त दो डेक और 544 यात्रियों के लिए आकर्षक डिजाइन वाला यह विमान बोइंग के 747 के मुकाबले उतारा गया था।
ए380 के सबसे बड़े क्रेता एमिरेट्स ने इस विमान के ऑर्डर में कटौती के बाद छोटे ए350 और ए330नियो के कुल 70 विमान खरीदने का फैसला किया है। वहीं इस मामले पर यूरोपियन कंपनी ने कहा कि आने वाले हफ्तों में वह वार्ता करेगी। इससे करीब 3,000-3,500 नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं। एयरबस 17 और विमानों का निर्माण करेगी, जिनमें से 14 एमिरेट्स और तीन जापानी एयरलाइन एएनए के लिए होंगे।
एमिरेट्स के चेयरमैन शेख अहमद बिन सईद अल-मक्तूम ने कहा है कि एमिरेट्स ए380 की शुरुआत से ही उसका समर्थक रहा है। उन्होंने ऑर्डर में कटौती के फैसले को निराशाजनक कहा है। उन्होंने बताया कि इसे जारी नहीं रख सकते हैं। बता दें कि ए380 विमानों में ईंधन की ज्यादा खपत भी बड़ा मसला रहा है। ये विमान बड़े हवाईअड्डों पर ही उतारे जा सकते हैं।
साल 2007 में पहली उड़ान भरने के बाद अब इसे बंद करने का फैसला लिया गया। इसके विशाल आकार के हिस्से यूरोप के कई देशों में बनते हैं। उस समय विशेषज्ञों का मानना था कि बड़े आकार के कारण यह विमान उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। बाद में मंदी की वजह से विमान सेवाओं का बाजार प्रभावित हुआ। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने इस विमान को यूरोप की आर्थिक शक्ति का प्रतीक भी माना था।