नई दिल्ली/भाषा। उच्चतम न्यायालय ने कर्ज में फंसी कंपनी आम्रपाली समूह का रीयल एस्टेट नियमन प्राधिकरण (रेरा) के तहत पंजीयन मंगलवार को रद्द कर दिया। न्यायालय ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों से आम्रपाली की संपत्तियों के लिए मिले पट्टे भी रद्द कर दिए।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय यू. ललित की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए आम्रपाली समूह की सभी लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिये एनबीसीसी को नियुक्त किया है।
पीठ ने अधिवक्ता आर. वेंकटरमणी को कोर्ट रिसीवर नियुक्त किया। वेंकटरमणी को आम्रपाली की संपत्तियों के सारे अधिकार मिल जाएंगे।
न्यायालय ने कहा कि वेंकटरमणी के पास यह अधिकार रहेगा कि वे बकाया वसूली के लिए आम्रपाली की संपत्तियों की बिक्री के लिए तीसरे पक्ष से करार कर सकेंगे।
पीठ ने कहा कि विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के प्रावधानों का उल्लंघन कर घर खरीदारों के पैसे का हेर-फेर किया गया।
न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय को आम्रपाली के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अनिल शर्मा तथा कंपनी के अन्य निदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किए गए कथित मनी लांड्रिंग (धन शोधन) की जांच का भी निर्देश दिया है।
न्यायालय ने कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा के प्राधिकरणों ने आम्रपाली के साथ सांठगांठ करके उसे मकान खरीदारों के पैसे की हेर-फेर करने में मदद की और कानून के हिसाब से काम नहीं किया।
न्यायालय ने मकान खरीदारों को राहत देते हुए नोएडा और ग्रेटर नोएडा के प्राधिकरणों से कहा कि वे आम्रपाली समूह की विभिन्न परियोजनाओं में पहले से रह रहे मकान खरीदारों को आवास पूर्ण होने संबंधी प्रमाणपत्र सौंपे।