नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में भारतीय सेना की ताकत और जंग के लिए तैयारी में काफी अहम सुधार लाए गए हैं। सरकार कई महत्वपूर्ण कदम उठाकर सेना को आधुनिक बनाने के लिए कार्यरत ऩजर आ रही है। पिछले ही दिनों सरकार ने शेकातकर समिति द्वारा रेखांकित किए गए सुझावों में से अधिकांश को मान लिया है और इस ब़डे फैसले से देश की सेना को बहुत फायदा होगा। समिति द्वारा करीबन अस्सी सुझाव दिए गए थे जिनमे से लगभग सत्तर को सरकार ने माना है और जल्द इस दिशा में कार्यवाही करने का आश्वासन भी दिया है। सरकार मंजूर किए गए सुझावों को वर्ष २०१९ के अंत तक लागू करने की बात कहा रही है। सेना के अनेक ऐसे विभाग हैं जिनमें मानव सांसधन की खपत होती है लेकिन उसका सेना को कोई अहम फायदा नहीं होता। ऐसे क्षेत्रों में समिति ने मानव संसाधन को कम करने की बात कही है और साथ ही हमारे पडोसी देशों के आक्रामक रवैये को देखते हुए हमारी सेना को प्रत्येक सैनिक का सही उपयोग करने के साथ ही रिक्त स्थानों की तुरंत भर्ती करने की भी तैयारी करनी चाहिए। इसके साथ ही हमारी सेना के तीनों प्रमुख घटकों के बीच समन्वय की आवश्यकता है। भविष्य में होने वाली जंग में सफल रहने के लिए थल सेना, वायु सेना और नौ सेना को एक साथ नियंत्रत फैसले लेते हुए आपसी तालमेल की भी मिसाल कायम करनी प़डेगी। इसके लिए तीन घटकों के आपसी मदभेदों को समाप्त कर तीनों विभागों के शीर्ष अधिकारियों को एक संगठित समन्वय विभाग में तैनात करना होगा। इसके लिए सरकार को एक नया विभाग बनाना प़ड सकता है जिसके द्वारा लिए जाने वाले फैसलों का तीनों सेनाएं सम्मानपूर्वक पालन करें। ऐसा तभी संभव हो सकेगा जब इस शीर्ष विभाग में तीनों सेनाओं के आला अधिकारियों को जिम्मेदारियां दी जाएंगी। इसी के साथ हमारे सैनिकों के आधुनिकीकरण पर ध्यान देना भी अनिवार्य है। मानव संसाधन के बेहतर इस्तेमाल से हमारी सेना की कार्यकुशलता बेहतर होगी। इसके साथ सैनिकों द्वारा उपयोग किए जा रहे हथियारों और उपकरणों को भी आधुनिक बनाने की आवश्यकता है। हमारी सेना कई ऐसे हथियारों को आज भी इस्तेमाल कर रही है जिन्हे तुरंत चरणबद्ध तरीके से हटा दिया जाना चाहिए था। बेहतर हथियार और उपकरणों से हमारी सेना का मनोबल और बल दोनों बढेगा जिसका सीधा असर हमारे सैनिकों की क्षमता एवं दक्षता पर भी प़डेगा। रक्षा क्षेत्र में आयात को काम करने से हमारे सैनिकों को बेहतर सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा सकेंगी। अगर हमारे सैनिक देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने से नहीं कतराते हैं तो हमारी भी ि़जम्मेदारी बनती है की उन्हें आधुनिक शस्त्र, बेहतर सुविधाएं और आवशयक सांसधन समय पर उपलब्ध कराए जाएं ताकि सेना को होने वाले जानमाल के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सके।
सेना में सुधार
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