उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र रहे गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में भर्ती बच्चों को ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से मृत्यु हुई है और यह घटना प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है। अस्पताल में ऑक्सीजन जैसी आवश्यक वस्तु की कमी होना खतरे को आमंत्रित करने जैसा है, ऐसे में शुरुआती जांच में यह जानकारी सामने आ रही है कि ऑक्सीजन उपलब्ध करा रहे संस्थान द्वारा कई बार याद दिलाए जाने के बावजूद ऑक्सीजन सिलिंडर सुविधा की राशि अस्पताल द्वारा नहीं दिए जाने के बाद मजबूरन ऑक्सीजन सिलिंडर देने पर रोक लगाई गई। सरकारी तंत्र में कई बार ऐसा होता कि उपयोग की गयी सेवा का शुल्क देने में लम्बा समय निकाल दिया जाता है। उत्तर प्रदेश में अस्पतालों की हालत बहुत खस्ता है।इस घटना के बाद उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने क़डी कार्रवाई का आश्वासन दिया है और साथ ही यह भी कहा कि जिम्मेदार व्यक्तियों को बक्शा नहीं जाएगा परंतु क्या हर घटना के लिए मुख्यमंत्री स्तर पर कार्यवाही करने से ऐसी समस्यायों को सुधारा जा सकेगा। सच तो यह है कि जब तक निचले स्तर के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझेंगे तब तक सरकारी तंत्र में सुधार नहीं आएगा। अगर अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी हुई तो अस्पताल के अधिकारियों को इसका दूसरा विकल्प ढूंढना चाहिए था। अस्पताल के अधिकारियों की गलती की वजह से अनेक परिवारों के नन्हे फरिस्तों की जान चली गयी। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाना चाहिए।जिस मुस्तैदी से राज्य सरकार घटना के बाद कार्रवाई कर रही है उससे यह तो सा़फ हो जाता है कि सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए तत्पर है परंतु साथ ही सरकार को ऐसा भविष्य में होने से रोकने के लिए भी आवश्यक कदम उठाने होंगे। सरकारी तंत्र द्वारा सेवाओं और उत्पादों की कीमत समय पर अदा की जानी चाहिए। निजी विक्रेता द्वारा व्यापार की सीमा होती है और सरकार को यह समझकर सेवा या वस्तु की आपूर्ति की पुष्टि करने की एक तय प्रक्रिया बनाई जानी चाहिए और इसका सत्यापन होते ही भुगतान किया जाना चाहिए। सरकार को अपने सभी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश देने होंगे कि उनके विभाग के सभी प्रमुख कार्य उनकी निगरानी में होने चाहिए और साथ ही प्रत्येक कार्य की जिम्मेदारी भी विभाग के अधिकारियों में बांटी जानी चाहिए। केवल शीर्ष अधिकारियों अथवा मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा कारवाही पर निर्भर नहीं रहकर अपने अपने कार्यक्षेत्र की कार्यकुशलता का सभी अधिकारियों को ध्यान रखना होगा।
सरकारी तंत्र बने जिम्मेदार
सरकारी तंत्र बने जिम्मेदार