तमाम कयासों के विपरीत प्रदूषण नियंत्रण के मुद्दे पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लालखट्टर व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक साथ बैठे। आठ बिंदुओं पर सहमति बनी। पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को प्रेरित करने के साथ यह फैसला भी हुआ कि दिल्ली व हरियाणा में पुराने वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाएगा। यह भी तय किया गया कि सीएनजी ईंधन वाले नए वाहनों को ही प्राथमिकता दी जाएगी। हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम रोडवेज डिपो के लिए खरीदी जाने वाली पांच सौ बसों को सीएनजी ईंधन प्रारूप में लेने का फैसला किया। इतना ही नहीं दिल्ली पर हरियाणा के वाहनों का बोझ कम करने के लिए कुंडली मानेसर पलवल एक्सप्रेस वे के निर्माण में तेजी लाने तथा निर्माण के दौरान पानी के छि़डकाव पर जोर देेने की बात कही गई। कुल मिलाकर दोनों राज्यों के मुखियाओं ने दिल्ली व हरियाणा के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्मॉग की समस्या से निबटने में गंभीरता दिखाई। देर से ही सही, इन कदमों को प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में रचनात्मक पहल कहा जा सकता है। बेहतर होता कि शीर्ष अदालत व एनजीटी की सख्ती से पहले कदम समय रहते उठा लिए जाते और सिर्फ औपचारिकताओं का निर्वहन न किया गया होता, जिससे दिल्ली के लोगों को इतनी परेशानियों का सामना न करना प़डता।इसी बीच आग लगने पर कुआं खोदने की तर्ज पर केंद्र सरकार भी हरकत में आई है। दिल्ली में घातक प्रदूषण को देखते हुए केंद्र सरकार ने वाहनों के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले बीएस-६ किस्म के ईंधन को समय से पहले बेचना जरूरी करने का फैसला किया है। भारत में ईंधन की गुणवत्ता के मानक तय करने व निकलने वाले धुएं से जु़डे कानून का पैमाना बीएस यानी भारत स्टैंडर्ड कहा जाता है। पहले तेल मंत्रालय की ओर से अप्रैल २०२० में बीएस-६ ईंधन बेचने की योजना थी लेकिन दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए इसे अप्रैल २०१८ से ही दिल्ली में बेचना शुरू किया जाएगा। सरकार तेल कंपनियों से विमर्श कर रही है कि क्या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अप्रैल २०१८ से बीएस-६ मानक वाला ईंधन बेचना संभव हो सकेगा? दरअसल, बीएस-४ ईंधन की बिक्री इसी वर्ष अप्रैल में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य वाहनों के लिए स्वच्छ ईंधन मुहैया कराना था। निश्चय ही ऐसे प्रयासों से प्रदूषण के स्तर में कमी लाने में मदद मिलेगी। वहीं कार कंपनियां दावा कर रही हैं कि बीएस-४ मानकों वाले वाहनों में बीएस-६ ईंधन इस्तेमाल किया जा सकेगा, उसके लिए इंजन बदलने की जरूरत नहीं होगी। भविष्य में बीएस-६ ईंधन वाले वाहनों की कीमतों में कुछ इजाफा जरूर हो सकता है।
अब हुई सार्थक पहल
अब हुई सार्थक पहल