संयुक्त राष्ट्र की साधारण सभा में भारत ने पाकिस्तान के बेतुके बयानों का करारा जवाब दिया है। पाकिस्तान अब विश्व में आतंकी समर्थक देश के रूप में शुमार होता जा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने यह बयान दिया था कि पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों को इसीलिए तैयार किया है ताकि भारत द्वारा किसी भी तरह के हमले का जवाब दिया जा सके। भारत द्वारा वर्ष २००४ में अपनाई गई कोल्ड स्टार्ट नीति का संदर्भ देते हुए अब्बासी ने अपना बयान दिया था। इस नीति के अनुसार भारत ने यह तय कर रखा है कि वह अपनी तरफ से यही कोशिश करेगा कि पाकिस्तान से पूर्ण युद्ध की नौबत न आए। हालाँकि भारत ने यह नीति पाकिस्तान की कम़जोर स्थिति को देखते हुए अपनाई थी और इसके अनुसार पाकिस्तान द्वारा जिस क्षेत्र में या मंच पर ग़डब़डी की जाएगी, उसी क्षेत्र में भारत द्वारा सीमित जवाब दिया जाएगा। पाकिस्तान को शायद यह नीति समझ ही नहीं आई है। हाल ही में सत्ता में आए अब्बासी शायद को वास्तविकता का ज्ञान नहीं है। उनके बयान में भारत के खिलाफ परमाणु कार्यवाही की अप्रत्यक्ष धमकी छुपी हुई थी। भारत ने अब्बासी के इस बेतुके बयान का जवाब तथ्यों पर आधारित करना बेहतर समझा। संयुक्त राष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण मंच पर पाकिस्तान द्वारा आतंकी गतिविधियों को दिए जा रहे समर्थन को बेहतरीन तरीके से उजागर करते हुए भारत ने ओसामा बिन लादेन और मुल्ला ओमर जैसे आतंकियों को पाकिस्तान में दी गई शरण की बात कही। साथ ही लश्कर-ए-तोइबा के मुखिया हाफिज मुहम्मद सईद द्वारा बार-बार पाकिस्तान के अलग अलग शहरों में सार्वजनिक रैलियों के आयोजन पर भी भारत ने सवाल उठाए। पाकिस्तान पर जम्मू और कश्मीर में लगातार अशांति ़फैलाने के लिए जिम्मेदार भी ठहराया गया है। भारत के साथ ही अब पूरा विश्व यह समझने लगा है कि पाकिस्तान ने अनेक खूंखार आतंकियों को शरण दी हुई है। जिस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ कार्यवाही करने का दबाव बनाया है उससे सा़फ हो जाता है कि अमेरिका पाकिस्तान के झूठ को अब बर्दाश्त नहीं करने वाला है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पहले भी कई बार पुख्ता सुबूत पेश करते हुए पाक के नापाक इरादों से विश्व को अवगत कराया है। जिस सूझबूझ से भारतीय प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान को वैश्विक मंच में पुनः कटघरे में ख़डा कर दिया वह निश्चित रूप से सराहनीय है।
पाकिस्तान को करार जवाब
पाकिस्तान को करार जवाब