निवेश का सार्थक प्रयास

निवेश का सार्थक प्रयास

उत्तर प्रदेश में विकास के तमाम सवालों का समाधान तलाशने के मकसद से लखनऊ में आयोजित दो दिवसीय इन्वेस्टर्स समिट पहली नजर में सार्थक प्रयास नजर आता है। देश के चोटी के औद्योगिक घरानों के साथ हुए सहमति पत्रों में ४.२८ लाख करो़ड रुपए का आकं़डा विकास की नई उम्मीद जगाता है। यह राशि इतनी ब़डी है, जितना राज्य का वार्षिक बजट विगत के अनुभवों का निष्कर्ष यह है कि सहमति पत्र में उल्लेखित राशि व क्रियाशील पूंजी में खासा फर्क रह जाता है। इसके लिए जरूरी है कि योगी सरकार राज्य में उद्योगों के अनुकूल माहौल बनाए। नौकरशाही का सहयोग, भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था, तत्काल निर्णय, अनुकूल संरचनात्मक ढांचे के अलावा जरूरी है प्रशासनिक व्यवस्था उद्योगों की स्थापना के लिए उर्वर भूमि उपलब्ध कराए। विगत में भी राज्य में निवेश के लिए प्रयास हुए हैं मगर विकास की गा़डी नोयडा-गाजियाबाद जैसे इलाकों तक ही सिमट कर रह गई। इसमें दो राय नहीं कि देश के सबसे ब़डे राज्य, जो राज्यों में तीसरी ब़डी अर्थव्यवस्था है, श्रम व क्षमता की कोई कमी नहीं है। इसके बावजूद राज्य की प्रतिभाएं दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए भटकती नजर आती हैं। निश्चित रूप से राजनीतिक संकीर्णताओं व दूरदृष्टि के अभाव में उत्तर प्रदेश बीमारू राज्यों में शामिल रहा है।श्रमशक्ति और संसाधनों के लिहाज से उत्तर प्रदेश को देश के सबसे समृद्ध राज्यों में शुमार होना चाहिए था। राजनीतिक रूप से यह प्रदेश खासा जागरूक रहा है। सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री इसी राज्य ने देश को दिए हैं्। फिर भी, नए परिदृश्य में जब राज्य की युवा शक्ति कुछ कर गुजरने का माद्दा रखती है, समिट में अंबानी, टाटा, अडानी जैसे ब़डे उद्यमियों का लखनऊ पहुंचना विकास की नई उम्मीद जगाता है। खासकर प्रधानमंत्री की उपस्थिति से उद्यमियों का विश्वास ब़ढा है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने जो दो रक्षा उद्योग गलियारा स्थापित करने की घोषणा की है, वह ब़डी संख्या में रोजगार सृजन की उम्मीद बंधाती है। एक अच्छी बात यह है कि उद्योगपतियों ने बुनियादी ढांचे में निवेश में रुचि दिखाई है। ऐसे ही अक्षय ऊर्जा को प्राथमिकता दी गई है जो प्रदेश की पहली जरूरत है। योगी सरकार के लिए एक सकारात्मक बात यह है कि केंद्र में भी उसकी पार्टी की सरकार है, जिससे राज्य में उद्योग के अनुकूल वातावरण तैयार करने में आसानी हो सकती है। अब योगी सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि राज्य में कानून व्यवस्था में अविलंब सुधार किया जाए्। सरकार को आत्ममंथन करना होगा कि वे कौन से कारण थे, जिनकी वजह से प्रदेश के उद्योग अन्य राज्यों में चले गए।

About The Author: Dakshin Bharat