पिछले सप्ताह जम्मू-कश्मीर के शोपियां जिले के जावूरा इलाके में जो कुछ हुआ वैसा पहले कभी न तो सुना गया और न देखा गया। एक स्कूल बस में सवार बच्चों पर ताब़डतो़ड पत्थर बरसाए गए। कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की घटनाएं होती रही हैं, लेकिन जावूरा इलाके में जो कुछ हुआ वैसा कभी नहीं हुआ। चार से सात साल की उम्र के दो-तीन बच्चे घायल हो गए और एक गंभीर रूप से घायल बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया। पत्थरबाज कोई नाबालिग नहीं थे, बल्कि उन्होंने सुरक्षा बलों द्वारा दो आतंकियों को मार गिराने के विरोध में पत्थरबाजी की। जब भी वहां आतंकी मारे जाते हैं तभी लोग पत्थरबाजी करने लगते हैं। सुरक्षा बल ही उनके निशाने पर होते हैं लेकिन स्कूल बस में सवार मासूम बच्चों को निशाना बनाने के पीछे का मकसद क्या हो सकता है? शायद सत्ता व समाज को यह संदेश देने का मकसद रहा होगा कि अगर आतंकवादियों को मारा गया तो ऐसी पत्थरबाजी होती रहेगी। यह घृणित कृत्य जाहिर तौर पर आतंकवाद का समर्थन है। यानी कि आतंकवाद के समर्थक चाहते हैं कि घाटी में आतंकी सुरक्षित रहें। आतंकवाद के समर्थकों की इस तरह की बद नीयत का संदेश एक ऐसे वक्त दिया जा रहा है जब जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इन पत्थरबाजों को गुमराह मासूम मानते हुए उन्हें एक मुश्त आम माफी दिए जाने और उनके पुनर्वास की पैरवी करती रही हैं। वह अपनी ऐसी दयावान सोच को मनवाने में कामयाब भी हो गईं, जबकि राज्य में गठबंधन की सरकार है और भाजपा उसमें शामिल है। इस मामले में विरोधी दल भी सरकार के खिलाफ हैं। शायद सरकार यह मानकर चल रही थी इससे गुमराह पत्थरबाजों की सोच बदलेगी और वे सद्भाव की राह पक़डेंगे। पत्थरबाजी की घटनाओं में भी कमी आएगी। आखिर सरकार की सोच गलत साबित हुई। पत्थरबाज तो फिर भी सक्रिय हैं और यहां तक सक्रिय हैं कि वे अपने ही इलाके के मासूम बच्चों तक को नहीं बख्श रहे हैं।इस घटना के बाद विपक्षी दल नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला का यह कहना सही था कि पत्थरबाज सरकारी माफी का बेजा फायदा उठा रहे हैं। महबूबा सरकार को अपने फैसले पर फिर विचार करने की जरूरत है। अपराध का समर्थन नहीं किया जा सकता बल्कि उसे दण्ड देकर नई राह दिखाई जा सकती है। फिर महबूबा मुफ्ती यह क्यों भूल जाती हैं कि पत्थरबाज स्वत: पैदा नहीं हुए हैं, बल्कि इन्हें कोई न कोई लालच देकर तैयार किया गया है और इसमें आतंकवाद समर्थकों या फिर आतंकी गुटों और अलगाववादियों का हाथ है। महबूबा मुफ्ती ने बच्चों पर पत्थरबाजी की घटना को पागलपन से भरा और कायराना कृत्य बताते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है। उन्होंने षड्यंत्र रचने वालों की पहचान करने की भी बात कही है। यह सच है और ऐसे समूहों की पहचान कर उन्हें दण्डित किया जाना चाहिए। स्कूल बस पर पथराव की घटना के एक दिन पहले भी चिंताजनक घटना देखने को मिली। चार वाहनों में श्रीनगर जा रहे करीब पचास पर्यटकों पर अनंतनाग के अशमुकाम में पथराव किया गया। कई पर्यटक घायल हो गए थे।
मासूमों पर हमला क्यों?
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