नफरत का धंधा

देखने में आया है कि भारतविरोधी चैनल लाखों या करोड़ों व्यूज बटोर लेते हैं


भारत सरकार द्वारा आठ यूट्यूब चैनलों को ब्लॉक करने का फैसला प्रासंगिक है। सोशल मीडिया पर ऐसी सामग्री की भरमार है, जिसमें देश की छवि धूमिल करने के साथ ही जान-बूझकर असत्य व भ्रामक जानकारी फैलाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। विदेश में बैठे कई यूट्यूबर भारत आधारित जानकारी पेश करते हैं, जिन्हें न तो भारतीय भाषाओं की कोई समझ होती है और न साझी संस्कृति के बारे में कुछ पता होता है। वे मनगढ़ंत बातों पर वीडियो बनाते हैं, जिन्हें भारत में लाखों व्यूज मिलते हैं। ये चैनल खूब कमाई भी करते हैं।

विदेशी आकाओं के इशारे पर काम करने वाले ये यूट्यूबर भारत के सामुदायिक सौहार्द को नष्ट करने का कुकृत्य कर रहे हैं, जिन पर पाबंदी लगाना उचित ही है। सरकार को ऐसे अन्य चैनलों के खिलाफ भी कड़ा रुख अपनाना चाहिए, जो भारतविरोधी सामग्री के आधार पर अपना धंधा चला रहे हैं। हमारे ही देश का अहित चाहकर हमसे कमाई करने का फॉर्मूला अब नहीं चलेगा।

भारत सरकार को एक आसान तंत्र बनाना चाहिए, जिसके तहत आम जनता ऐसे चैनलों के बारे में शिकायत कर सके। भारतविरोधी सामग्री पर नज़र रखने का काम सिर्फ खुफिया एजेंसियों का नहीं है, देशवासी भी इसमें भागीदारी निभाएं। चूंकि ऐसे चैनलों का निशाना तो जनता ही है, अगर वह इनकी पहचान कर समय पर सूचित कर दे तो इन्हें मजबूत होने का मौका न मिले।

देखने में आया है कि भारतविरोधी चैनल लाखों या करोड़ों व्यूज बटोर लेते हैं। स्पष्ट है कि ये ज्यादा भारत में देखे जा रहे हैं। ये जनता को भ्रम में डालते हैं और समुदायों में नफरत घोलते हैं। इसके बदले मोटी रकम भी कमाते हैं। नफरत के इस धंधे पर चोट करने के लिए भारतीय एजेंसियों को और सतर्कता दिखानी होगी। अब भी यूट्यूब पर ऐसे वीडियो की भरमार है, जो भारत और यहां के विभिन्न समुदायों के खिलाफ आग उगल रहे हैं। यूट्यूब पर जम्मू-कश्मीर, पंजाब, उत्तर-पूर्व जैसे क्षेत्रों में अलगाववाद भड़काने वाली सामग्री बड़ी तादाद में मौजूद है।

जब भारतीय यूजर इनके खिलाफ शिकायत करते हैं तो कंपनी इन्हें हटाने में रुचि नहीं दिखाती। इस स्थिति में भारत सरकार को सख्ती दिखानी होगी। वह समय-समय पर ऐसी सामग्री को ब्लॉक करने का आदेश देती रहे। जब ऐसे चैनलों की मेहनत निष्फल हो जाएगी तो वे अपनी हरकतों से बाज़ आएंगे।

पूर्व में विभिन्न रिपोर्टों में खुलासा हो चुका है कि पाकिस्तानी फौज की मीडिया शाखा आईएसपीआर भारतविरोधी सोशल मीडिया अकाउंट्स का संचालन करती है, जिसके लिए उसके पास सैकड़ों कर्मचारी हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार देशविरोधी अकाउंट्स और वीडियोज पर कोई नरमी न दिखाए। इनके साथ उसी तरह निपटे, जैसे हमारी सेना दुश्मन की फौज से निपटती है।

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