भारत से सीधी लड़ाई में कई बार शिकस्त खाने के बाद पाकिस्तान द्वारा शुरू किए गए छद्म युद्ध से सभी का परिचित होना जरूरी है, खासतौर से सुरक्षा बलों के अधिकारियों और कर्मचारियों को तो बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। राजस्थान के सीकर जिले के एक जवान का आईएसआई की महिला एजेंट से ‘मित्रता’ और देश के राज़ उस तक पहुंचाने का मामला अत्यंत गंभीर है। यह कोई पहला मामला नहीं है। हाल के वर्षों में ऐसे करीब दर्जनभर मामले चर्चा में रहे हैं। सभी का तरीका भी लगभग एक जैसा है। पहले फेसबुक या किसी अन्य सोशल मीडिया मंच से मित्रता का निवेदन किया जाता है।
प्राय: इसमें किसी सुंदर महिला की तस्वीर इस्तेमाल की जाती है। लोग ज्यादा पड़ताल किए बिना ऐसी ‘मित्रता’ स्वीकार कर लेते हैं। फिर बातों-बातों में राज़ जानने का सिलसिला शुरू होता है। सुरक्षा बलों के कर्मचारियों और सरहदी इलाके के निवासियों को इसमें खासतौर से निशाने पर लिया जाता है। घर-परिवार से दूर रहने वाले जवान जब किसी अजनबी महिला से ऐसा ‘आत्मीयतापूर्ण’ व्यवहार देखते हैं तो संवेदशनशील जानकारियां साझा कर देते हैं। इसमें हनी ट्रैप के साथ पैसे का जाल फेंका जाता है।
यह आईएसआई का ऐसा मकड़जाल है जिसमें उलझकर कई सैन्यकर्मी अपनी प्रतिष्ठा, नौकरी के साथ देश की गोपनीय जानकारी गंवा चुके हैं। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि अब युद्धों के स्वरूप में परिवर्तन हो रहा है। परंपरागत युद्ध कम से कम होते जा रहे हैं, वहीं व्यापार, खुफिया तंत्र, इंटरनेट युद्धक्षेत्र के रूप में उभरते जा रहे हैं। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां साइबर घुसपैठ के जरिए भारत में दाखिल होना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने खासी तैयारी कर रखी है। चूंकि इन दिनों फेसबुक, वॉट्सएप बहुत प्रचलन में हैं, इसलिए वे इनके जरिए कुछ खास तरह के लिंक भारतीय यूजर्स को भेजती हैं।
जब यहां लोग उन पर क्लिक करते हैं तो उनके मोबाइल फोन, कम्प्यूटर, लैपटॉप आदि वायरस के शिकार हो जाते हैं एवं उनका नियंत्रण रावलपिंडी, इस्लामाबाद या कराची में बैठे आईएसआई के किसी एजेंट को मिल जाता है। ऐसी भी खबरें आ चुकी हैं कि आईएसआई पाकिस्तानी लड़कियों को प्रशिक्षण देकर सोशल मीडिया के माध्यम से भारतीय सैन्यकर्मियों को फंसाने के लिए जाल फैला रही है। कई लोगों ने उनके झांसे में आकर देश की गोपनीय सूचनाएं उन्हें दीं, जो तुरंत आईएसआई तक पहुंच गईं। इस तरह किसी की एक गलती देश को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है।
अक्टूबर 2018 में सेना की पश्चिमी कमांड की ओर से मेरठ छावनी में जासूसी के आरोप में पकड़े गए एक जवान का मामला इससे कुछ अलग था। उससे कर्नल शर्मा नामक शख्स वॉट्सऐप के जरिए महत्वपूर्ण जानकारी ले रहा था। उसने यह भरोसा दिलाया था कि वह भी भारतीय सेना में कार्यरत है। जब सेना की खुफिया इकाई ने जांच की तो पता चला कि इस नाम का कोई अधिकारी उनकी यूनिट में नहीं है। वह आईएसआई का अफसर था जो पाकिस्तान में बैठकर भारतीय सेना के जवानों से उनके कमांडरों के नाम, तैनाती, तादाद, तबादले, पता, मोबाइल नंबर और अन्य गोपनीय जानकारी ले रहा था। जवान को नेटवर्क में हेरफेर कर कॉल आती थी। इस तरह उसे मालूम भी नहीं हुआ कि वह आईएसआई के जाल में फंसता जा रहा है।
उन्हीं दिनों नागपुर से एक मिसाइल इंजीनियर की गिरफ्तारी के बाद हड़कंप मच गया था। उस पर आईएसआई तक ब्रह्मोस मिसाइल के राज़ पहुंचाने के गंभीर आरोप थे। उसे भी फांसने के लिए आईएसआई ने सोशल मीडिया का सहारा लिया था। वह लड़कियों के नाम से बने जिन दो फेसबुक अकाउंट्स के संपर्क में था, उनका संचालन इस्लामाबाद से हो रहा था। उनमें से नेहा शर्मा ने खुद का परिचय लंदन निवासी के तौर पर दिया। वहीं पूजा खुद को अमेरिका के शिकागो शहर की निवासी बताती थी। भारतीय एजेंसियों ने अपनी जांच में उन्हें फर्जी पाया था। इस्लामाबाद से आईएसआई के प्रशिक्षित एजेंट इनका संचालन कर रहे थे और अपने बातों में उलझाकर भारतीय सुरक्षा तंत्र से जुड़े गहरे राज़ हथिया रहे थे।
पाकिस्तानी एजेंसियों द्वारा भारतीय यूजर्स का डेटा चुराकर उनका इस्तेमाल करने संबंधी रिपोर्टें भी आ चुकी हैं। इसके लिए किसी यूजर को ब्लैकमेल कर देशविरोधी कार्य के लिए उकसाया जा सकता है। यह जरूरी नहीं कि इस कार्य में पाकिस्तान का कोड +92 ही इस्तेमाल किया जाए। अब तकनीक के साथ इसमें हेरफेर संभव है। इसलिए सोशल मीडिया पर ऐसे तत्वों से सतर्क रहें और किसी प्रकार का संदेह हो तो तुरंत संबंधित अधिकारियों या पुलिस को सूचित करें। युद्ध के इस नए स्वरूप को जनता के सहयोग से ही जीता जा सकता है।