संयोग या प्रयोग?

क्या वजह है कि भारतीय मूल के लोगों पर हमले का सिलसिला चल पड़ा है?


उदारवाद और बहुसांस्कृतिक सामाजिक संरचना की पहचान रखने वाले अमेरिका और यूरोप में क्या हो रहा है? पिछले दिनों ब्रिटेन में पाकिस्तानी मूल के कट्टरपंथियों ने हिंदू मंदिर पर हमला बोला था, अब अमेरिका के कैलिफॉर्निया प्रांत में एक व्यक्ति ने कम से कम 14 ऐसी हिंदू महिलाओं पर हमले किए, जिन्होंने साड़ी या कोई अन्य पारंपरिक पोशाक पहन रखी थी, बिंदी लगा रखी थी और आभूषण धारण कर रखे थे। ये घटनाएं अत्यंत निंदनीय हैं। कानून व्यवस्था स्थापित करने वाली एजेंसियों को ऐसी घटनाओं पर तुरंत संज्ञान लेकर अपराधियों को कठोर दंड देना चाहिए।

क्या वजह है कि भारतीय मूल के लोगों पर हमले का सिलसिला चल पड़ा है? यह संयोग है या कोई प्रयोग? भला साड़ी, बिंदी और आभूषणों से किसी को क्या खतरा हो सकता है? भारत का हिंदू समाज तो जिस देश में जाता है, उसकी मिट्टी से प्रेम करता है, उसकी बेहतरी के लिए काम करता है। वह सभी संस्कृतियों का सम्मान करते हुए सह-अस्तित्व की अधिकतम संभावनाएं तलाशता है।

निश्चय ही ये हमले उच्च स्तर के घृणा अपराध हैं, जिनके खिलाफ कानूनी एजेंसियों को तो कार्रवाई करनी होगी। साथ ही भारतीय समुदाय को आवाज उठानी होगी। मात्र सोशल मीडिया पर ट्रेंड चला देनेभर से बात नहीं बनने वाली। उन्हें कानून का पालन करते हुए धरातल पर आवाज उठानी चाहिए। सांता क्लारा काउंटी के डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के कार्यालय ने जो बताया है, वह चौंकाने वाला है। आरोपी कोई नवयुवक नहीं, बल्कि 37 वर्ष का लाथन जॉनसन नामक शख्स है, जो हिंदू महिलाओं को निशाना तो बनाता ही था, उनके आभूषण छीनकर फरार हो जाता था।

यह शख्स हिंदुओं के प्रति अपने मन में कितनी घृणा लिए घूम रहा होगा, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह ये घृणा अपराध पिछले करीब दो महीनों से कर रहा है। यह कोई साधारण श्रेणी का अपराध नहीं, बल्कि अत्यंत गंभीर श्रेणी का अपराध है। आरोपी ने कई महिलाओं से मारपीट तक की, जिनमें से ज्यादातर की आयु 50 वर्ष से 73 वर्ष के बीच थी। ऐसे लोग हत्या भी कर दें तो क्या आश्चर्य!

एजेंसियों को इस शख्स की कुंडली खंगालनी चाहिए कि हिंदू महिलाएं इसके निशाने पर क्यों हैं। आखिर कौन है जिसने इसके दिमाग में हिंदू महिलाओं के प्रति इतनी घृणा भरी है? एजेंसियों और न्यायालय पर भरोसा रखना उचित है, लेकिन भारतीय समुदाय को ऐसे अपराधियों के खिलाफ खुलकर बोलना चाहिए और अपनी सुरक्षा की मांग करनी चाहिए। अन्यथा यह सिलसिला रुकने वाला नहीं है।

जब पूरा ब्रिटेन महारानी एलिजाबेथ के निधन से शोक में डूबा था, तब पाकिस्तानी हुड़दंगी देवी माता के मंदिर को निशाना बना रहे थे। वहां कट्टरपंथी इतने बेखौफ गए हैं कि उन्होंने पुलिस से भी हाथापाई की थी। ब्रिटेन को अपने अति-उदारवाद और गलत नीतियों का खामियाजा भुगतना है, लेकिन अमेरिका को उससे सबक लेना चाहिए। आए दिन गोलीबारी और घृणा अपराधों से इस महाशक्ति का चेहरा कलुषित हो रहा है।

कैलिफॉर्निया में एक सिक्ख परिवार के चार सदस्यों का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। वहीं, इंडियाना में भारतीय मूल के छात्र वरुण की जान ले ली। भारतवंशियों पर लगातार हो रहे ये हमले चिंता की बात हैं। भारत सरकार को इस मामले में सक्रियता दिखानी चाहिए। राष्ट्रपति बाइडेन के समक्ष यह मुद्दा उठाया जाए और भारतवंशियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

‘हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन’ का यह कहना उचित ही है कि घृणा अपराध और ऑनलाइन हिंदूफोबिया के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे मामलों को मजबूती से उठाकर अपराधियों को दंडित कराया जाना चाहिए।

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