नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने जाने-माने गायक सोनू निगम की धार्मिक स्थलों से होने वाले शोर की शिकायत को सही ठहराते हुए कहा है कि रिहायशी इलाकों में रात के समय ४५ से ५० डेसिबल और दिन के समय ५५ डेसिबल से ज्यादा का शोर सिर्फ लोगों को परेशान ही नहीं करता है बल्कि यह कानूनी रूप से भी गलत है।राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (एनपीएल) के निदेशक डॉ. दिनेश असवाल ने बुधवार को यहां अंतरराष्ट्रीय शोर जागरुकता दिवस के अवसर पर स्कूली बच्चों और वैज्ञानिकों के लिए आयोजित एक कार्यशाला में यह बात कही। उन्होंने कहा कि सोनू निगम की शिकायत बेवजह नहीं थी। विकास के साथ कई तरह के बिजली के तथा अन्य उपकरण हमारी जीवनशैली का हिस्सा बन चुके हैं। इनसे होने वाले शोर के कारण लोगों में तनाव, चि़डचि़डापन, दिल की बीमारी और अलसर का भी खतरा होता है। जिस प्रकार पृष्ठभूमि में होने वाले शोर का स्तर ब़ढ रहा है उससे आने वाले समय में ध्वनि प्रदूषण एक ब़डी समस्या बनने वाली है। वाणिज्यिक क्षेत्र में रात के समय अधिकतम ५५ डेसिबल और दिन के समय ६५ डेसिबल तथा औद्योगिक इलाकों में रात के समय ७० और दिन में ७५ डेसिबल की शोर की सीमा तय की गई है। उच्चतम न्यायालय द्वारा इस संदर्भ में रात के समय को रात १० बजे से सुबह छह बजे तक परिभाषित किया गया है। उन्होंने बताया कि आजकल सभी हाईएंड फोनों में ऐसे मोबाइल ऐप आ रहे हैं जिनकी मदद से कोई भी व्यक्ति अपने आसपास ध्वनि प्रदूषण का स्तर माप सकता है।
वैज्ञानिकों ने कहा सोनू निगम की शिकायत वाजिब
वैज्ञानिकों ने कहा सोनू निगम की शिकायत वाजिब