जयपुर। फिल्म निर्माता एवं अभिनेत्री नंदिता दास ने कहा है कि सेंसर बोर्ड के फिल्मों के प्रमाणन के सिद्धांत में खामी है क्योंकि कुछ मुट्ठीभर लोग यह निर्णय नहीं कर सकते हैं कि पूरा देश क्या देखना चाहता है। ४८ वर्षीय अभिनेत्री ने जयपुर साहित्य महोत्सव में कल कहा कि यह बहुत खतरनाक है कि संस्कृति के कुछ स्व-घोषित संरक्षक लोगों को यह बताते हैं कि क्या सही है और क्या गलत। अभिनेत्री ने कहा, अभी प्रमाणन को लेकर ज्यादा मुद्दे सामने आ रहे हैं। कला के विकास के लिए आजादी की जरूरत होती है। सेंसर बोर्ड और फिल्म के प्रमाणन के सिद्धांत अपने में ही दोषपूर्ण है। कैसे कुछ मुट्ठी भर लोग यह निर्णय ले सकते हैं कि एक राष्ट्र के तौर पर हम लोग क्या देखना चाहते हैं।दिग्गी पैलेस के फ्रंट लॉन में अभिनेत्री ने विस्तार से अपनी आने वाली फिल्म मंटो के बारे मे बात की। यह फिल्म मशहूर लेखक सआदत हसन मंटो की बायोपिक है। इस फिल्म में मंटो का किरदार नवाजुद्दीन सिद्दीकी निभा रहे हैं। इस सत्र में अभिनेता भी मौजूद थे। नंदिता ने कहा कि उन्होंने फिल्म के विषय के रूप में मंटो का चुनाव उनके धर्म और राष्ट्रीयता की वजह से नहीं बल्कि लेखक किस चीज के लिए आवाज उठाते थे, इसकी वजह से किया। अभिनेत्री ने कहा, मंटो खुद को राष्ट्रीयता और धर्म की पहचान से ऊपर का इंसान मानते थे। वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के ब़डे हीरो थे।
सेंसर बोर्ड के फिल्मों के प्रमाणन के सिद्धांत में खामी है : नंदिता दास
सेंसर बोर्ड के फिल्मों के प्रमाणन के सिद्धांत में खामी है : नंदिता दास