भोपाल। उच्चतम न्यायालय द्वारा विवादित फिल्म पद्मावत की २५ जनवरी को देशभर में रिलीज का आदेश देने के एक दिन बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कहा कि इस मामले में कोई भी अगला कदम उठाने से पहले प्रदेश के महाधिवक्ता को शीर्ष अदालत के आदेश का अध्ययन करने के लिए कहा गया है। चौहान ने उच्चतम न्यायालय द्वारा पद्मावत पर गुरुवार को दिए गए निर्णय के बारे में पूछे गए सवाल पर शुक्रवार को कहा, हमने प्रदेश के महाधिवक्ता को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का अध्ययन करने के लिए कहा है। यदि हमें माननीय उच्चतम न्यायालय में कुछ कहना होगा तो, इसके बाद हम देखेगें। अब तक इस मामले में हमने कोई निर्णय नहीं लिया है। उच्चतम न्यायालय ने विवादित फिल्म पद्मावत की २५ जनवरी को देशभर में रिलीज का रास्ता साफ कर दिया। शीर्ष न्यायालय ने राजस्थान और गुजरात की ओर से इन राज्यों में फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने वाली अधिसूचनाओं और आदेशों पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने किसी भी अन्य राज्य को फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने वाला आदेश अथवा अधिसूचना जारी करने पर भी रोक लगा दी है। राजपूत समाज के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री चौहान ने २० नवम्बर को पद्मावत फिल्म को मध्यप्रदेश में प्रदर्शन की अनुमति नहीं देने की घोषणा की थी। इसके बाद हाल ही में चौहान ने इस फिल्म के प्रदेश में रिलीज होने के सवाल पर मीडिया से अपनी २० नवम्बर की बात पर कायम रहने का संकेत देते हुए कहा था, जो कहा था वह होगा।
नई दिल्ली। सेंसर बोर्ड और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’’ को कुछ सुधारों के बाद प्रदर्शित करने की अनुमति दे दी है लेकिन अभी भी इस फिल्म को लेकर विरोध के स्वर कम नहीं हुए हैं। शुरुआत से इस फिल्म का विरोध कर रही करणी सेना ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा है। करणी सेना के सुखदेव सिंह ने शुक्रवार को नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत मंे केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड(सीबीएफसी) के प्रमुख प्रसून जोशी को धमकी देते हुए कहा है कि करणी सेना उन्हें राजस्थान में घुसने नहीं देगी। इसके साथ ही इसने इस फिल्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग के साथ सर्वोच्च न्यायालय की ब़डी पीठ के समक्ष और राष्ट्रपति तक जाने की भी बात कही है।झ्श्नथ्य्द्मद्बैंख़य्र् फ्ष्ठ ·र्ैंर् ब्डत्रूय्ष्ठझ् ·र्ैंर् द्बय्ैंख्करणी सेना के प्रमुख लोकेन्द्र सिंह कलवी ने कहा कि पूरे राजपूत समाज की नजरें इस समय इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर टिकी हुई है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों के पास अधिकार है कि इस फिल्म के कारण कानून व्यवस्था से संबंधित समस्याएं पैदा होने पर वह इस पर रोक लगा सकती है। इस संबंध में उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार वर्ष २००८ में आशुतोष गोवारिकर की फिल्म जोधा अकबर और वर्ष २००६ में यशराज फिल्म्स के बैनर तले बनी फिल्म फना पर संेसर बोर्ड से अनुमति मिलने के बाद राजस्थान सरकार द्वारा रोक लगाई गई थी उसी प्रकार पद्मावत के साथ भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस फिल्म के कारण कानून व्यवस्था से जु़डे मुद्दे पर विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बयान भी सामने आने लगे हैं।ज्द्मत्रय् ·र्ैंद्भश्चरू ध्ख्य्द्मष्ठ ·र्ैंर् ृझ्र्ध्सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद करणी सेना ने अपने तेवर नर्म नहीं किए हैं। करणी सेना के संरक्षक लोकेन्द्र सिंह कालवी ने लोगों से अनुरोध किया है कि २५ जनवरी को इस फिल्म के रिलीज वाले दिन जनता कफ्र्यू लगाया जाए और लोग इस फिल्म का बहिष्कार करें। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पद्मावत का विरोध अब सिर्फ राजपूत समाज के लोगों तक सिमित नहीं है बल्कि सभी समाज के लोग इसके विरोध में सामने आ रहे हैं। करणी सेना के एक अन्य पदाधिकारी सुखदेव सिंह ने भी मीडिया से बातचीत में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस फिल्म के बारे में जो आदेश जारी किया गया है उसमें भी यह स्पष्ट किया गया है कि राज्य सरकारों को अपने यहां की कानून व्यवस्था को देखते हुए इस फिल्म को प्रदर्शित करने या प्रतिबंधित करने के बारे में निर्णय लेने का अधिकार है।त्रह्ख्यठ्ठणक्कद्भय् ·र्ैंय् थ़्द्भप्य्ख्र सुखदेव सिंह ने इस फिल्म के प्रतिबंध की मांग का खुलकर समर्थन करने के लिए विश्व हिन्दू परिषद के नेता प्रवीण तोगि़डया को धन्यवाद दिया है। इसके साथ ही उन्होंने इस विषय पर अभी तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) द्वारा किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं देने पर भी प्रश्न उठाया है। उन्होंने कहा है कि इस फिल्म के माध्यम से देश में हिंदुत्व को नीचा दिखाने की कोशिश की जा रही है ऐसे में हमेशा हिंदुत्व की बात करने वाला राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी क्यों मौन हैं?सुखदेव सिंह ने कहा कि इस फिल्म से देश में मुस्लमान और हिन्दू धर्म के लोगों के बीच विवाद पैदा होगा। इस फिल्म से राजपूतों और ब्राह्मणों के बीच भी विवाद की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और सेंसर बोर्ड को चाहिए की पहले यह फिल्म १० इतिहासकारों को दिखाए फिर इसे प्रदर्शित करने के बारे में कोई निर्णय लिया जाए। फ्प्ह्श्चङ्गय् ़द्भय्द्भय्ध्द्भ द्मष्ठ झ्श्नद्बय्ह्लय्झ्ॠ द्यस ·र्ैंद्यद्मष्ठ फ्ष्ठ ्य·र्ैंद्भय् ंैं·र्ैंय्द्यज्ञातव्य है कि शुक्रवार को वकील मनोहर लाल शर्मा की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा इस फिल्म को जारी किए गए प्रमाणपत्र को रद्द करने की मांग वाली याचिका को रद्द कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा ’’अदालत, संविधान के अनुसार चलती है और हम कल ही अपने अंतरिम फैसले में यह कह चुके हैं कि राज्य सरकारों के पास किसी भी फिल्म की स्क्रीनिंग रोकने का अधिकार नहीं है।’’ ज्ञातव्य है कि सर्वोच्च न्यायालय ने गत १८ जनवरी को ही इस फिल्म को प्रदर्शित करने की अनुमति दे दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात और राजस्थान सहित अन्य राज्यों में इस फिल्म को प्रदर्शित करने पर लगाई गई रोक को भी हटाने का निर्देश दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने आगामी २५ जनवरी से इस फिल्म को देश के सिनेमाघरों में प्रदर्शित करने की अनुमति दे दी है।