भुवनेश्वर/भाषा। अगले महीने होने वाले विश्व कप से पहले भारतीय हॉकी खिलाड़ियों को फेसबुक, वॉट्सअप समेत सोशल मीडिया से किनारा करने की सलाह देते हुए महान हॉकी खिलाड़ी धनराज पिल्लै ने कहा है कि पोडियम फिनिश के लक्ष्य पर फोकस करने के लिए यह बेहद जरूरी है। सोलह टीमों का विश्व कप 28 नवंबर से 16 दिसंबर तक यहां कलिंगा स्टेडियम पर खेला जाना है।
भारतीय टीम को क्या सलाह देंगे, यह पूछने पर इस करिश्माई स्ट्राइकर ने कहा कि सभी खिलाड़ियों को तुरंत सोशल मीडिया से दूर हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा, हमसे टूर्नामेंट के समय अखबार से दूर रहने को कहा जाता था क्योंकि नकारात्मक खबरों से प्रदर्शन पर असर पड़ता है। मेरे कोच जोकिम कार्वाल्हो मुझे यही सलाह देते थे। मैं इन खिलाड़ियों से भी अनुरोध करूंगा कि वॉट्सअप, ट्विटर, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया से दूर रहें। इससे ध्यान भटकता है। ये सब हॉकी खत्म होने के बाद भी कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि टीम में आपसी तालमेल बेहतर बनाने के लिए सोशल मीडिया के बजाय खिलाड़ियों का एक दूसरे के साथ समय बिताना जरूरी है। उन्होंने कहा, हमारे समय में इतना सोशल मीडिया नहीं था और हम दूसरे के साथ ही समय बिताते थे। खिलाड़ियों का आपसी तालमेल गजब का था। चार बार ओलंपिक (1992, 1993, 2000, 2004), चार विश्व कप (1990, 1994, 1998, 2002), चार एशियाई खेल (1990, 1994, 1998, 2002) और चार चैम्पियंस ट्रॉफी (1995, 1996, 2002, 2003) खेलने वाले दुनिया के अकेले खिलाड़ी धनराज ने यह भी कहा कि उन्हें अपने सुनहरे करियर में ओलंपिक या विश्व कप नहीं जीत पाने का मलाल खलता है।
उन्होंने कहा, मैंने इतने ओलंपिक और विश्व कप खेले लेकिन इसकी कोई ट्रॉफी मेरे नाम नहीं है। मुझे यह कसक हमेशा खलती है और मैं उम्मीद करता हूं कि यह टीम अपने मैदान पर मेरा सपना पूरा करेगी। धनराज ने आगाह किया कि विश्व कप में राह आसान नहीं होगी क्योंकि सभी टीमें मजबूत हैं। उन्होंने कहा, सभी सोलह टीमें तैयारी से आएंगी। घरेलू समर्थन से क्या होगा अगर आप अच्छा नहीं खेल सकें! अच्छा खेलोगे तो ही मीडिया और दर्शक सिर पर बिठाएंगे।
धनराज ने यह भी कहा कि आज के दौर में कलात्मक हॉकी की जगह लैपटाप हॉकी ने ले ली है जो भारतीय परिप्रेक्ष्य में कितनी कामयाब होगी, कहा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा, अब हॉकी बहुत बदल गई है। हम कलात्मक हॉकी खेलते थे लेकिन आज के खिलाड़ियों की रफ्तार का मुकाबला नहीं कर सकते। पिछले तीन चार साल में रफ्तार में हम अब ऑस्ट्रेलिया को टक्कर दे रहे हैं। फिटनेस का स्तर बहुत बेहतर हुआ है। हमने कौशल में ऑस्ट्रेलिया को मात दी होगी लेकिन आज उस समय इतना तेज हॉकी ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड और जर्मनी ही खेलते थे।