मुंबई/भाषा। युवराज सिंह ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की। अपने क्रिकेट करियर में युवराज सिंह भारत के विश्व कप 2011 के खिताबी जीत के नायक बने और इस दौरान उन्हें कैंसर जैसी बीमारी से भी जूझना पड़ा।
इस 37 वर्षीय क्रिकेटर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, मैंने 25 साल के बाद अब क्रिकेट से आगे बढ़ने का फैसला किया है। क्रिकेट ने मुझे सब कुछ दिया और यही वजह है कि मैं आज यहां पर हूं।
उन्होंने कहा, मैं बहुत भाग्यशाली रहा कि मैंने भारत की तरफ से 400 मैच खेले। जब मैंने खेलना शुरू किया था तब मैं इस बारे में सोच भी नहीं सकता था।
युवराज ने भारत की तरफ से 40 टेस्ट, 304 वनडे ओर 58 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले। उन्होंने टेस्ट मैचों में 1900 और वनडे में 8701 रन बनाए। उन्हें वनडे में सबसे अधिक सफलता मिली। टी20 अंतरराष्ट्रीय में उनके नाम पर 1,177 रन दर्ज हैं।
उन्होंने कहा, यह इस खेल के साथ एक तरह से प्रेम और नफरत जैसा रिश्ता रहा। मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता कि वास्तव में यह मेरे लिए कितना मायने रखता है। इस खेल ने मुझे लड़ना सिखाया। मैंने जितनी सफलताएं अर्जित कीं, उससे अधिक बार मुझे नाकामी मिली पर मैंने कभी हार नहीं मानी।
बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने अपने करियर के तीन महत्वपूर्ण क्षणों में विश्व कप 2011 की जीत और मैन आफ द सीरीज बनना, टी20 विश्व कप 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ एक ओवर में छह छक्के जड़ना और पाकिस्तान के खिलाफ लाहौर में 2004 में पहले टेस्ट शतक को शामिल किया।
विश्व कप 2011 के बाद कैंसर से जूझना उनके लिये सबसे बड़ी लड़ाई थी। उन्होंने कहा, मैं इस बीमारी से हार मानने वाला नहीं था।
इसके बाद हालांकि उनकी फॉर्म अच्छी नहीं रही। उन्होंने भारत की तरफ से आखिरी मैच जून 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ वनडे के रूप में खेला था। उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट मैच 2012 में खेला था।
इस साल आईपीएल में वह मुंबई इंडियन्स की तरफ से खेले लेकिन उन्हें अधिक मौके नहीं मिले।