बेंगलूरु। हर वर्ष रक्षाबंधन के मौके पर अक्सर यह देखा गया है कि राखी बांधने के समय भद्रा का साया रहता है और इस कारण से रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने के मुहूर्त की बेहद कमी हो जाती है अथवा किसी विकल्प के तौर पर शास्त्रों के प्रमाण के अनुसार राखी बांधने का मुहूर्त बनाया जाता है, किंतु इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन भद्रा सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी।
भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व तथा ब्राह्मणों के लिए श्रावणी पर्व के रूप में मनाया जाने वाला यह रक्षाबंधन का त्योहार इस वर्ष श्रावणी पूर्णिमा अर्थात 26 अगस्त को मनाया जाएगा। आचार्य श्रीधर खाण्डल के अनुसार, इस बार यह त्योहार बिना किसी बाधा के प्रसन्नतापूर्वक मनाया जा सकेगा तथा पूर्णिमा तिथि सायंकाल 5 बजकर 26 मिनिट तक होने से यह त्योहार पूरे दिन उत्साहपूर्वक मनाया जा सकेगा। शास्त्रानुसार रक्षाबंधन में भद्रा टाली जाती है, जो इस बार पूरे दिन नहीं है। पिछले चार वर्षों बाद यह विशेष संयोग बना है।
श्रावणी कर्म व राखी बांधने का समय
प्रातः 7 बजकर 43 मिनिट से 9 बजकर 18 मिनिट तक चर, तथा 9 बजकर 18 मिनिट से 10 बजकर 53 मिनिट तक लाभ, और 10 बजकर 53 मिनिट से मध्याह्न 12 बजकर 28 मिनिट तक अमृत, तदुपरांत मध्याह्न 2 बजकर 03 मिनिट से 3 बजकर 38 मिनिट तक शुभ, व सायंकाल 6 बजकर 48 मिनिट से रात्रि 8 बजकर 13 मिनिट तक राखी बांधने का मुहूर्त रहेगा।
भारतीय वैदिक ज्योतिष तथा भारतवर्ष में मान्य सभी मुख्य पंचांगों के अनुसार पूर्णिमा तिथि 25 अगस्त को दोपहर 3:25 बजे से प्रारंभ हो जाएगी जो 26 अगस्त को शाम 5.30 तक रहेगी। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र दोपहर 12:35 बजे तक रहेगा। रक्षाबंधन का मुहूर्त 26 अगस्त को सुबह 7:43 बजे से दोपहर 12.28 बजे तक रहेगा। इसके बाद दोपहर 2 से 4 तक रहेगा। सूर्योदय व्यापिनी तिथि मानने के कारण रात में भी राखी बांधी जा सकेगी।
चंद्रग्रहण से मुक्त रक्षाबंधन
पिछले साल राखी का त्योहार भद्रा और ग्रहण होने के कारण बहुत ज्यादा सौभाग्यशाली नहीं माना गया था लेकिन इस बार राखी ग्रहण से मुक्त है क्योंकि इस वर्ष का दूसरा और अंतिम चंद्रग्रहण 28 जुलाई को लगा था। श्रावण पूर्णिमा इस बार ग्रहण से मुक्त रहेगी जिससे यह और भी ज्यादा सौभाग्यशाली उत्सव बन जायेगा।
रक्षाबंधन में नहीं बनेगा बाधक योग
रक्षाबंधन के दिन धनिष्ठा नक्षत्र होने के कारण पंचक रहेगा, लेकिन राखी बांधने में यह बाधक नहीं बनेगा। धनिष्ठा से रेवती तक पांच नक्षत्रों को पंचक कहा जाता है। यह पांच दिनों तक चलता है। पंचक को लेकर भ्रांति यह है कि इसमें कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। पंचक में अशुभ कार्य नहीं करना चाहिए, क्योंकि उनकी पांच बार पुनरावृत्ति होती है। पंचक में शुभ कार्य करने में कोई दिक्कत नहीं है।
सूर्य के सिंह ने बढ़ाया महत्व
इस वर्ष सूर्य भी रक्षाबंधन के पर्व के समय सिंह राशि में रहेंगे अर्थात् सूर्य भी अपनी राशि में आने से स्वग्रही रहेंगे तथा ज्यादा बलवान रहेंगे। अतः इस दिन किए गए कर पुण्य कर्म का अनंतगुना फल मिल सकेगा।
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