बीकानेर। ‘सियाळो सीकर भलो, उनाळो अजमेर, नागौणो नित रो भलो, सावन बीकानेर’ .. यह लोकोक्ति भले ही बीकानेर में श्रावण माह में होने वाली बारिश के लिए बनाई गई हो, लेकिन आजकल श्रावण माह में यह लोकोक्ति शिवालयों पर भी सटीक बैठ रही है। इसका कारण है, शिव का शृंगार। पहले शिवभक्त केवल दूध, घी और औषधियों से अभिषेक करके शिव को मनाने का जतन करते थे, लेकिन अब तो शिव भक्त शिवालयों में ऐसे शृंगार कर रहे हैं कि देखने वाले भी दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं।
हर्षोलाव स्थित अमरेश्वर महादेव मंदिर में तो श्रावण के हर दिन महादेव का अलग-अलग शृंगार होता है। शिवलिंग को कई रूप दिए जाते हैं। शिवभक्त सुबह से दोपहर तक शिव का नया लुक और रूप देने में ही लगे रहते हैं। यहां हर दूसरे दिन शिवजी का सहस्त्र जलधारा से अभिषेक होता है जिसमें 108 तरह की जड़ी-बूटियां शामिल होती हैं।
वहीं अमरेश्वर महादेव को अब तक गणेशजी, मां राणी सती, भूतनाथ, हरिमय महादेव, ठाकुरजी, सेामनाथ महादेव, नागदेवता, श्रीकृष्ण, नागदेव सहित दर्जनों रूप देकर शृंगारित किया जा चुका है। इस मंदिर में शिव के नित नए रूप देखकर अब तो शहर के कई अन्य मंदिरों में भी ऐसे ही प्रयोग होने लगे हैं। हर्षोलाव तालाब स्थित अमरेश्वर महादेव करीब दो शताब्दी पहले महाराजा सरदार सिंह के समय बनकर तैयार हुआ था।
अमरेश्वर महादेव की गिनती शहर में ऐसे मंदिरों में होती है जहां श्रावण में घी से सबसे ज्यादा अभिषेक होता है। यह शहर का एक ऐसा शिवालय है जहां ब्रह्मा, विष्णु और लक्ष्मी की भी पूजा होती है। सफेद संगमरमर के शिवलिंग के साथ कसौटी के पत्थर से बनी विष्णु की प्रतिमा और पैर दबाती लक्ष्मी के साथ ब्रह्मा की साधना करने के लिए यहां आने वाले हर व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है, ऐसी किंवदंती है।
मंदिर से जु़डे नंदलाल व ओंकार हर्ष बताते हैं कि मंदिर में नर्बदेश्वर शिवलिंग है। काले पत्थर से बनी विष्णु की प्रतिमा ठीक वैसी ही है जैसे मरुनायक मंदिर में। इसलिए, लोग इन दोनों मंदिरों के आपसी जुड़ाव की बात करते हैं।
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