ढाका। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की कई कहानियां हैं। इनमें से कई बहुत मशहूर हुईं तो कुछ सिर्फ कागजों तक सीमित रह गईं। आज हम आपको युद्ध की वह सच्ची कहानी बताएंगे जिसका संबंध हमारी आस्था से भी है। पाकिस्तान ने भारत के साथ जितने भी युद्ध किए, उनमें से कई बार उसने ऐसी चाल चली ताकि हिंदुओं की आस्था का मजाक उड़ाया जाए, उन पर चोट की जाए। जैसे, 1965 में पाकिस्तान द्वारिका पर हमला करना चाहता था, ताकि भगवान कृष्ण के प्रसिद्ध मंदिर को नुकसान पहुंचाया जा सके।
इसी प्रकार जब 1971 का युद्ध चल रहा था, तो उसने ढाका में स्थित मां ढाकेश्वरी देवी के मंदिर का अपमान किया। यह एक प्राचीन मंदिर है। जब भारत अखंड था, तब रोज काफी तादाद में लोग यहां दर्शन के लिए आते थे। अब यहां आने वाले श्रद्धालुओं में ज्यादातर बांग्लादेशी हिंदू होते हैं। जैसा कि आप जानते होंगे, 16 दिसंबर, 1971 से पहले आज का बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था।
जब पूर्वी पाकिस्तान में पश्चिमी पाकिस्तान में बैठे फौजी हुक्मरानों का जुल्म हद से ज्यादा बढ़ गया तो वे सड़कों पर उतर आए। उस समय पाकिस्तानी फौज ने एक ओर पूर्वी पाकिस्तान की बंगाली अवाम के खिलाफ भारी हथियारों का उपयोग शुरू कर दिया। वहीं उसने भारत के साथ युद्ध शुरू कर दिया। उस समय पाकिस्तान की फौज ने ढाका स्थित ढाकेश्वरी मंदिर को अपने कब्जे में ले लिया।
पाकिस्तानी फौजी इसके जरिए यह दिखाना चाहते थे कि वे करोड़ों भारतीयों की आस्था को ठेस पहुंचा सकते हैं। उन्होंने मंदिर की पवित्रता का उल्लंघन किया। जूते पहनकर अंदर जाते। वहां उनकी फौज के हथियार भी रखे थे। यह स्थान पाकिस्तानी फौज का शस्त्रागार था। कहा जाता है कि इस स्थान पर बैठकर पाकिस्तान के फौजी अधिकारी शराब पीते, मांसाहार करते और ढाकेश्वरी देवी का मजाक उड़ाते।
उस समय करोड़ों हिंदुओं ने मां ढाकेश्वरी से भारत की विजय और पाकिस्तानी फौज को कठोर दंड देने के लिए प्रार्थना की। आश्चर्यजनक रूप से ऐसा ही हुआ। पाकिस्तान के 90 हजार से ज्यादा सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने घुटने टेके और भारत की बहुत बड़ी विजय हुई। पाकिस्तान के टुकड़े हो गए। जिस मंदिर में बैठकर पाकिस्तानी जनरल ढाकेश्वरी देवी का मजाक उड़ाया करते थे, वहां से वे ऐसे निकले कि फिर कभी इस जगह का रुख नहीं किया।
यह मंदिर अत्यंत चमत्कारी माना जाता है। कहते हैं कि इस स्थान पर देवी सती के आभूषण गिरे थे। अत: यहां सदैव उनकी कृपा रहेगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून 2015 में जब बांग्लादेश गए तो उन्होंने मां ढाकेश्वरी के दर्शन कर पूजा-अर्चना की थी। आज यह स्थान भले ही भारत की भौगोलिक सीमाओं में नहीं आता, पर इसके साथ हमारी आस्था की डोर बहुत मजबूती से जुड़ी है।
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