बेंगलूरु। भगवान शिव के प्रिय मास श्रावण का शुभारंभ हो चुका है। श्रावण का पहला सोमवार 30 जुलाई है। इस अवधि में भगवान शिव के विभिन्न स्वरूपों का शृंगार कर पूजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। भगवान शिव देवों के देव हैं। जो संसार के लिए असंभव होता है, उसे शिवजी संभव बना देते हैं। शिवजी के पूजन में कई सामग्रियों का उपयोग होता है। हर सामग्री का विशेष महत्व है। जानिए, पूजन में कौनसी वस्तु किसके लिए लाभदायक है।
1. शिवजी के पूजन में शीतल जल का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। इसे चढ़ाने से भक्त के जीवन में शीतलता आती है। उसके जीवन में आए विभिन्न ताप और संताप शिवकृपा से दूर हो जाते हैं। इसलिए सोमवार को शिवजी को शीतल जल चढ़ाएंं। अगर यह गंगाजल हो तो उत्तम है।
2. शिवजी को दुग्ध और दही चढ़ाया जाता है। भगवान शिव अल्प मात्रा में चढ़ाए गए इन पदार्थों से भी अतिप्रसन्न हो जाते हैं। इन्हे अर्पित कर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से जीवन पर अकाल मृत्यु का संकट दूर होता है। जिनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता, वे शिवकृपा से स्वास्थ्यलाभ प्राप्त करते हैं।
3. शिवजी को कच्चे चावल चढ़ाने का विधान है। चावल सौभाग्य और समृद्धि के सूचक होते हैं। भगवान शिव को श्रद्धाभाव से चावल चढ़ाने से दरिद्रता का नाश होता है। चावल के साथ मिश्री भी चढ़ाई जाती है। यह शुभता का प्रतीक होती है। सत्य ही है, जिस पर शिव की कृपा होती है, उसे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
4. इसके अलावा भगवान भोलेनाथ को शहद चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि इससे वे ग्रहदोष दूर करते हैं। शिवजी को आक, धतूरा आदि भी प्रिय हैं। इसका तात्पर्य है कि वे भक्त के जीवन में आने वाले विषों को हर लेते हैं। उन्हें आक-धतूरा जैसे पदार्थ चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है। शीघ्र प्रसन्न होने के कारण शिवजी को आशुतोष कहते हैं।
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