ज्योतिष की मान्यता है कि सूतक शुरू होने के बाद भोजनादि नहीं करना चाहिए। हालांकि बालक, वृद्ध, रोगी आदि को इससे छूट है। सूतक शुरू होने से पहले जलस्रोत आदि में डाब रखी जाती है। इसे रखना शुभ माना गया है।
बेंगलूरु। इक्कीसवीं सदी का सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण शुक्रवार (27 जुलाई) को है। यह ग्रहण इस वजह से ज्यादा चर्चा में है क्योंकि ग्रहणकाल के दौरान चंद्रमा का रंग कई बार बदलेगा। भारत सहित पूरी दुनिया में लोग इसका इंतजार कर रहे हैं। यह एक खगोलीय घटना है। इसका ज्योतिष की दृष्टि से भी महत्व है। यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, ग्रहण का सूतक दोपहर 2:54 बजे शुरू होगा। इसके बाद ग्रहणकाल शुक्रवार को रात 11:54 बजे शुरू होगा। यह ग्रहण शनिवार (28 जुलाई) तड़के 3:49 बजे समाप्त हो जाएगा। यह ग्रहण भारत के अलावा कई देशों में दिखाई देगा। ज्योतिष की मान्यता है कि सूतक शुरू होने के बाद भोजनादि नहीं करना चाहिए। हालांकि बालक, वृद्ध, रोगी आदि को इससे छूट है। सूतक शुरू होने से पहले जलस्रोत आदि में डाब रखी जाती है। इसे रखना शुभ माना गया है।
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1. ग्रहणकाल में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना श्रेष्ठ माना जाता है। इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन पर आने वाले संकटों का निवारण होता है। ग्रहण को लेकर आज भी यह मान्यता है कि गर्भवती महिलाओं पर इसका प्रभाव शुभ नहीं होता है। इसलिए यथासंभव उन्हें ग्रहण के प्रकाश से दूर रखा जाता है।
2. ग्रहण के समय कीर्तन, हरिनाम का उच्चारण, सात्विक चर्चा आदि की जाती है। यह शुभफलदायक माना जाता है। हालांकि सूतक लगने से पूर्व ही मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं। भगवान की आरती पहले ही कर दी जाती है और ग्रहणकाल में पट नहीं खोले जाते। जब ग्रहण शुद्ध हो जाता है, तभी पट खुलते हैं और भगवान को स्नान कराया जाता है। तत्पश्चात आरती होती है।
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3. ग्रहणकाल में तामसी प्रवृत्तियों और तामसी भोजन से बचना चाहिए। यूं तो ग्रहण के संबंध में भोजन, यात्रा आदि कई चीजें वर्जित बताई गई हैं, परंतु तामसी प्रवृत्तियों का विशेष निषेध है। इनसे मनुष्य का पतन होता है। ग्रहण में किसी के साथ विवाद, कटुवचन, निंदा आदि नहीं करनी चाहिए। इनसे हमेशा दूर रहना चाहिए।
4. ग्रहण सूर्य का हो या चंद्रमा का, दान का महत्व दोनों से ही जुड़ा है। आप किसी जरूरतमंद और सत्पात्र को धन, वस्त्र, जूता, तिल, तेल, धातु, कंबल आदि दान कर सकते हैं। तिलों का दान शुभ माना गया है। कहते हैं कि इससे आने वाले संकटों का निवारण हो जाता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करना चाहिए।