गोइलकेरा। भगवान शिव देवों के देव कहे जाते हैं, क्योंकि सृष्टि में उनकी इच्छा सर्वोच्च होती है। यूं तो हर कंकर में शंकर का वास माना जाता है, परंतु शिवजी के कुछ स्थान जितने प्राचीन होते हैं, उतने ही अनूठे भी। आज हम आपको शिवजी के उस मंदिर की कथा बताएंगे जहां खंडित शिवलिंग की पूजा होती है। उस शिवलिंग का इतिहास भी कम रोचक नहीं है।
शिवजी के इस स्थान का नाम महादेवशाला धाम है। यह झारखंड के गोइलकेरा में है। मंदिर में स्थापित खंडित शिवलिंग के साथ भक्तों की अटूट श्रद्धा जुड़ी है। पिछले करीब 150 वर्षों से इस शिवलिंग की पूजा हो रही है।
अंग्रेज का गुरूर हुआ चूर
यह तब की बात है जब भारत में ब्रिटिश हुकूमत काबिज थी। एक अहंकारी अंग्रेज अधिकारी ने इस शिवलिंग को खंडित कर दिया था। उसका नाम रॉबर्ट हेनरी था। वह पेशे से इंजीनियर था। उसे ब्रिटिश सरकार ने भारत भेजा था। उस पर भारत में रेल की पटरियां बिछवाने की जिम्मेदारी थी।
उसके निर्देश पर मजदूर पटरियां बिछाने के लिए खुदाई कर रहे थे। तब गोइलकेरा के बड़ैला गांव के निकट धरती से एक शिवलिंग निकला। उसे देख मजदूरों ने श्रद्धा से हाथ जोड़ दिए। इस पर इंजीनियर रॉबर्ट हेनरी गुस्सा हो गया। उसने भारतीयों की धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए एक फावड़ा उठाया और शिवलिंग पर मारा।
उस प्रहार से शिवलिंग टूट गया। इस घटना से मजदूरों में काफी रोष था, लेकिन वे अंग्रेज अधिकारी का विरोध नहीं कर सकते थे। उस शाम हमेशा की तरह हेनरी गाड़ी में बैठ अपने घर को रवाना हुआ लेकिन वह घर नहीं पहुंच सका। रास्ते में ही उसकी अचानक मौत हो गई।
जब डर गए अंग्रेज
हेनरी के कृत्य और मौत के बारे में दूसरे अंग्रेज अधिकारियों को मालूम हुआ तो वे भयभीत हो गए। उन्होंने उस रास्ते से रेल की पटरियां बिछाने का इरादा बदल दिया। बाद में स्थानीय लोगों ने उस शिवलिंग की विधि-विधान से स्थापना की और आज तक उसका पूजन हो रहा है। शिवलिंग के दूसरे अंश को निकट ही देवी के एक अन्य मंदिर में स्थापित कर दिया गया।
इंजीनियर रॉबर्ट हेनरी की मृत्यु आज भी एक रहस्य है। उसके शव को गोइलकेरा में दफना दिया गया, वहीं उसकी कब्र मौजूद है। शिवजी के मंदिर में जयकारों के साथ ही यह रहस्यमय कथा भी सुनाई देती है।
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