बहुत खास है शरद पूर्णिमा की रात, आज चंद्रमा की किरणों में होता है अमृत का बल

बहुत खास है शरद पूर्णिमा की रात, आज चंद्रमा की किरणों में होता है अमृत का बल

maharaas on sharad purnima

बेंगलूरु। सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा (इस साल 24 अक्टूबर-बुधवार) का विशेष महत्व है। यह अध्यात्म और आरोग्य से जुड़ी तिथि है जिसके संबंध में देशभर में कई परंपराएं प्र​चलित हैं। इस दिन लोग भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और अपने इष्टदेवों का पूजन करते हैं। इस रात्रि को भगवान श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। मान्यता है कि आज चंद्रमा की किरणों में विशेष शक्ति होती है जो मनुष्य को आरोग्य, शांति, शीतलता और समृद्धि प्रदान करती है।

चंद्रमा की ये किरणें औषधियों के लिए श्रेष्ठ मानी जाती हैं। इसलिए कई स्थानों पर आयुर्वेद चिकित्सक अपनी औ​षधियों को चंद्रमा के प्रकाश में रखते हैं। कुछ स्थानों पर ऐसी परंपराएं प्रचलित हैं कि इस रात को खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की रोशनी में बैठकर सौ बार सुई में धागा पिरोने से आंखों की ज्योति अच्छी रहती है।

इसे भले ही एक लोकमान्यता समझा जाए लेकिन इसमें यह संकेत अवश्य दिया गया है ​कि शरद पूर्णिमा का संबंध किसी न किसी रूप में हमारी सेहत से है। इस रात्रि भगवान को विशेष भोग अर्पित किया जाता है। श्रद्धालु खीर बनाकर चंद्रमा के प्रकाश में रखते हैं। यह खीर स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक मानी जाती है, जो विभिन्न रोगों का नाश करती है।

कई आयुर्वेद ​चिकित्सक इस दिन का विशेष इंतजार करते हैं। वे दमा की औषधि बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं। कहा जाता है कि इन किरणों में अमृत का प्रभाव होता है जिससे औषधि में विशेष बल आ जाता है और दमा में आराम मिलता है।

भारत के हर क्षेत्र में शरद पूर्णिमा से जुड़ी असंख्य परंपराएं और मान्यताएं हैं, परंतु इसका संदेश समान है- प्रभु के चरणों में समर्पण, तन-मन की शीतलता एवं सबके साथ खीर बांटकर वसुधैव कुटुंबकम की भावना।

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