बेंगलूरु/दक्षिण भारत। शहर के गंगानगर आरटी नगर स्थित जैन स्थानक में विराजित महासतीश्री मणिप्रभाजी ने कहा कि जो सभी धर्मों को जो धारण किए हुए हैं वह है सत्य। सत्य की आधारशिला पर ही सभी धर्म टिका हुआ है। यदि सत्य ही ना हो तो धर्म वहां टिक नहीं सकता।
न्याय, सांख्य, वैशेषिक, वेदांत, जितने भी दर्शन है,उनके आचार और विचारों में चाहे कितनी भी विभिन्नता रही हो परन्तु सभी धर्म के आधार पर टिके हुए हैं। साधना के क्षेत्र में सत्य को प्रमुख स्थान दिया है।
साध्वी आस्थाश्रीजी ने कहा कि आचरण सूत्र में एक स्थान पर वर्णन आया है कि जो आत्मा को नहीं जानता वह दूसरों को क्या जानेगा। आत्मा को जो मूल गुण व स्वभाव है वह कभी नष्ट नहीं होता।
वह आत्मा संसार सागर को पार कर मोक्ष में पहुंच सकती है। कर्म बद्ध के कारण आत्मा इस संसार रूपी दलदल में फंसी रहती है।
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