शोध का दावा: हिंदू ही नहीं, कई मुसलमान भी श्रीराम के वंशज!

शोध का दावा: हिंदू ही नहीं, कई मुसलमान भी श्रीराम के वंशज!

भगवान राम

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हो रही है। देशभर की निगाहें न्यायालय की ओर हैं। इस बीच कुछ ऐसे दावे भी सामने आए हैं जिनमें ऐतिहासिक प्रमाण देकर कहा गया है कि वे श्रीराम के वंशज हैं। राजस्थान के राजसमंद से भाजपा सांसद दीया कुमारी, जो जयपुर के पूर्व राजघराने से हैं, ने दावा किया है कि उनका परिवार राम का वंशज है। इसी प्रकार मेवाड़ के पूर्व राजघराने के अरविंद सिंह मेवाड़ ने भी खुद को भगवान राम का वंशज बताया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक शोध में डीएनए विश्लेषण के आधार पर ​कहा गया है कि हिंदू ही नहीं, कई मुस्लिम भी राम के वंशज हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व राजघराने से ताल्लुक रखने वाले ऐसे कई परिवार हैं, जो राम के वंशज माने जाते हैं। इसी प्रकार राजस्थान में भी ऐसे कई मुसलमान हैं जिनका पूर्व में ताल्लुक कुशवाहा वंश से रहा है। मुगलकाल में उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया था, लेकिन वे आज भी खुद को राम का वंशज मानते हैं।

मेवात में दहंगल गोत्र के लोग स्वयं को श्रीराम का वंशज मानते हैं। इन्हें छिरकोल गोत्र का मुस्लिम यदुवंशी कहा जाता है। इसी प्रकार दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित कई राज्यों में रहने वाले मुसलमानों का संबंध श्रीराम की वंश परंपरा से रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, एसजीपीजीआई, लखनऊ के वैज्ञानिकों ने फ्लोरिडा और स्पेन के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर आनुवंशिकी शोध किया और निष्कर्ष निकाला।

पाक में भी कई प्रमाण
यही नहीं, श्रीराम के वंशजों का संबंध मौजूदा पाकिस्तान के कई इलाकों से रहा है। चूंकि 1947 में विभाजन से पहले वह क्षेत्र भी अखंड भारत का हिस्सा रहा था। ऐसे में राम के वंशजों का उससे ताल्लुक होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। पाक के मशहूर शहर लाहौर के बारे में प्रसिद्ध है कि यह श्रीराम के बेटे लव ने बसाया था। प्राचीन काल में इसका नाम लवपुरी था, जो कालांतर में लौहपुरी और फिर लाहौर के नाम से जाना गया।

इसी प्रकार श्रीराम के बेटे कुश को दक्षिण कौशल, कुशस्थली (कुशावती) और अयोध्या सौंपी गई। उनकी राजधानी का नाम कुशावती था जो छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में आती है। ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार, लव से राघव और सिसोदिया राजपूत उत्पन्न हुए। राघव राजपूतों से बड़गुजर, जयास, सिकरवार वंश पैदा हुए। इसी प्रकार, सिसोदिया राजपूतों से बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) का वंश आगे बढ़ा। कुश से कुशवाहा राजपूतों का वंश अस्तित्व में आया।

क्या कहते हैं दावेदार?
इस संबंध में दीया कुमारी ने कहा, हम भगवानराम के वंशज हैं। इसका आधार हस्तलिपि, वंशावली, दस्तावेज हमारे पोथी खाने में मौजूद हैं।

मेवाड़ के पूर्व राजघराने के अरविंद सिंह मेवाड़ ने कहा, यह ऐतिहासिक रूप से सिद्ध है कि मेरा परिवार श्रीराम का प्रत्यक्ष वंशज है। उन्होंने कहा, हम राम जन्मभूमि पर कोई दावा नहीं करना चाहते लेकिन हमारा मानना है कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर श्रीराम मंदिर अवश्य बनना चाहिए।

राजस्थान सरकार के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा, दुनियाभर में भगवान राम के वंशज हैं। इनमें मैं और मेरा परिवार भी शामिल हैं। हम सूर्यवंशी राजपूत भगवान राम के वंशज हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है। कुशवाह वंश के सूर्यवंशी राजपूत कालान्तर में कच्छवाहा कहलाए। उन्होंने कहा कि भगवान राम के वंशज जो कुश की संतानें हैं, वे पूरी दुनिया में मिलेंगी।

मौजूद हैं पुराने दस्तावेज
दीया कुमारी ने प्रमाण के तौर पर एक प्राचीन नक्शा भी पेश किया। इस पर राजस्थान विश्विविद्यालय के प्रोफेसर एवं वरिष्ठ इतिहासकार आर नाथ ने विस्तृत शोध किया था। उनके निष्कर्ष के अनुसार, जयपुर राजघराने के महाराज जय सिंह ने राजस्थान में जयसिंहपुरा बसाया था। जिन स्थानों पर मुगलों ने उपद्रव मचाया, वे सभी उन्होंने खरीद लिए। उस समय उन्होंने अयोध्या को भी पांच रुपए में खरीद लिया था। साल 1725 में महाराजा जय सिंह ने राम मंदिर का पुन: निर्माण करवाया।

उक्त शोध के अनुसार, राम मंदिर उस स्थान पर पहले ही से बना हुआ था। मस्जिद का उससे कोई संबंध नहीं था। प्रो. नाथ ने जयपुर के पूर्व राजघराने के पास मौजूद कागजात और राम जन्मभूमि से संबंधित अयोध्या के पट्टे, परवान, चक-नमस, पत्र आदि के आधार पर उच्च न्यायालय में कहा था कि अयोध्या की भूमि जयपुर के पूर्व राजघराने की है।

बता दें कि जयपुर घराने के पास जो दस्तावेज हैं, उनमें ब्रह्मा, विष्णु की उत्पत्ति से लेकर राजा दशरथ, श्रीराम, लव-कुश.. महाराजा जय सिंह, भवानी सिंह और पद्मनाभ तक का रिकॉर्ड दर्ज है। यह पूर्व राजघराना कच्छवाहा वंश का है, इसलिए मान्यता है कि उनकी उत्पत्ति कुश से हुई है। इसके अलावा करणी सेना के संयोजक लोकेंद्र सिंह कालवी ने कहा कि वे सिसोदिया राजपूत हैं, जो लव के वंशज हैं। उन्होंने दीया कुमारी के दावे का समर्थन किया और उच्चतम न्यायालय में चल रहे भूमि मामले में सम्मिलित होने की इच्छा प्रकट की है। गौरतलब है कि जयपुर के बढ़ गुर्जर राजपूत सत्येंद्र सिंह राघव ने भी खुद को राम का वंशज बताते हुए कहा कि मौजूदा अयोध्या लव के शासन में आती थी। उन्होंने वाल्मीकि रामायण के आधार पर दावा किया कि लव का राज्य उत्तर कौशल था, जो वर्तमान अयोध्या है।

दूसरी ओर, मेवाड़ के पूर्व राजघराने के महेंद्र सिंह मेवाड़ ने कहा कि उनकी 76 पीढ़ियों का इतिहास दर्ज है। इसी घराने के लक्ष्यराज ने कहा कि कर्नल जेम्स टॉड की किताब में दर्ज है कि लव के वंशज गुजरात होते हुए मेवाड़ आए थे। यहां सिसोदिया साम्राज्य की स्थापना की थी। उन्होंने कहा कि श्रीराम शिवजी के उपासक थे। इसी तरह मेवाड़ का राजपरिवार भी शिवजी का उपासक है। परिवार का राज प्रतीक सूर्य है। ऐसी कई विशेषताएं बताती हैं कि वे श्रीराम के वंशज हैं।

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