ग्लास्गो। ओलंपिक रजत पदक विजेता पीवी सिंधू को जापान की नोजोमी ओकूहारा के खिलाफ सांसों को रोक देने वाले बेहद उतार च़ढाव भरे रोमांचक मुकाबले में रविवार को तीन गेमों के संघर्ष में हार कर विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में रजत पदक से संतोष करना प़डा। चौथी सीड सिंधू और सातवीं सीड ओकूहारा के बीच यह हाईवोल्टेज मुकाबला एक घंटे ५० मिनट तक चला जिसमें जापानी खिला़डी ने २१-१९, २०-२२, २२-२० से जीत हासिल कर विश्व चैंपियन बनने का गौरव अपने नाम कर लिया। सिंधू को रियो ओलंपिक २०१६ में रजत जीतने के बाद विश्व चैंपियनशिप २०१७ में भी रजत से संतोष करना प़ड गया। भारत के लिए टूर्नामेंट ऐतिहासिक रहा और उसने एक चैंपियनशिप में पहली बार दो पदक जीतने की उपलब्धि हासिल की। साइना नेहवाल को कांस्य पदक मिला।सिंधू और ओकूहारा के बीच यह मुकाबला रोमांच की पराकाष्ठा को छूने के बाद समाप्त हुआ। दोनों ही खिलाि़डयों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। मैच में लंबी रैलियां ,नेट पर लाजवाब खेल, कोर्ट पर चारों तरफ मूवमेंट, बेहतरीन लाब और शानदार स्मैश देखने को मिले। मैच के दौरान दोनों ही खिला़डी बुरी तरह थक चुकी थीं लेकिन कोई भी हिम्मत नहीं हार रही थी। मैच का स्कोर इस बात का गवाह है कि यह कितना जबरदस्त मैच था। सिंधू के पास मौका था लेकिन अंत में शायद थकावट उन पर बुरी तरह हावी हो गई। जापानी खिला़डी ने २१-२० के स्कोर पर जैसे ही मैच विजयी अंक लिया, जापानी समर्थक खुशी से उछल प़डे। सिंधू के हाथ अंत में निराशा लगी लेकिन उन्होंने जोरदार खेल का प्रदर्शन किया। यह ऐसा मैच था जिसे विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के इतिहास में स्वर्णाक्षरों से अंकित रखा जाएगा। विश्व रैंकिंग में १२वें नंबर की खिला़डी ओकूहारा ने चौथे नंबर की भारतीय खिला़डी के खिलाफ अब अपना करियर रिकार्ड ४-३ कर दिया है और साथ ही सिंधू से गत वर्ष ओलंपिक और इस साल सिंगापुर ओपन में मिली हार का बदला भी चुका लिया।भारत ने इससे पहले विश्व चैम्पियनशिप में एक रजत (साइना के वर्ष २०१५ के जरिए) और चार कांस्य पदक अपने नाम किए हैं। प्रकाश पादुकोण वर्ष १९८३ में पुरुष एकल में कांस्य पदक जीतने वाले पहले भारतीय थे जिसके बाद ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की भारतीय महिला युगल जो़डी ने वर्ष २०११ में कांस्य पदक अपने नाम किया था। इस जीत से सिंधू विश्व चैम्पियनिशप के फाइनल में पहुंचने वाली दूसरी भारतीय बन गई हैं, इससे पहले जकार्ता में पिछले चरण में साइना ने यह उपलब्धि हासिल की थी। यह विश्व चैम्पियनशिप में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी होगा क्योंकि देश अब पहली बार इसमें दो पदक अपने नाम करेगा। सिंधू का ओकुहारा के खिलाफ पिछली छह भि़डंत में फाइनल का रिकार्ड ३-३ से बराबरी का रहा है। लेकिन रियो ओलंपिक और वर्ष २०१७ सिंगापुर ओपन में पिछले दो मुकाबलों इस भारतीय का पल़डा भारी रहा है। जब से सिंधू यहां आई हैं तो वह अपने कांस्य पदक (वर्ष २०१३ और २०१४ में) और रजत पदक (वर्ष २०१६ ओलंपिक) का रंग (स्वर्ण पदक में) बदलना चाहती हैं। सेमीफाइनल मैच के बाद जब उनसे पूछा गया कि अगर रंग बदलने की बात है तो क्या रजत पदक, इस पर सिंधू ने कहा, अरे नहीं, यह काफी नहीं होगा। आज जीतना अहम था क्योंकि मैं अपने पदकों का रंग बदलना चाहती हूं। मैं जीतना चाहती हूं और मेरा लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतने का है और मेरा ध्यान इसी पर लगा है। उन्होंने कहा, जब आप फाइनल में पहुंचते हो तो आप जीतना चाहते हो। आप देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना चाहते हो और आप देश के लिए कुछ भी कर सकते हो। पिछले साल रियो में भी ऐसा ही था और मैं अपने देश के लिए पदक जीतना चाहती हूं। सिंधू ने कहा, फाइनल में मुकाबला कठिन होगा। हालांकि मैंने उसे (ओकुहारा) को ओलंपिक में हराया है, लेकिन यह नया मुकाबला होगा और रणनीति भी नई होगी। वह भी नए स्ट्रोक्स खेलेगी और मुझे इसके लिए तैयार होना होगा। मैं स्वर्ण पदक के लिए जी जान लगा दूंगी। सेमीफाइनल मुकाबले के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, हालांकि स्कोर से नहीं दिखता, लेकिन वह (चेन) हर अंक के लिए ल़डी और ब़ढत बनाने के बावजूद यह कठिन मैच था। उन्होंने कहा, इसमें लंबी रैलियां थाी और वह किसी भी शटल को छो़ड नहीं रही थी। लेकिन अच्छा है कि यह (सफर) खत्म नहीं हुआ है। एक और मैच खेलना है। मुझे ध्यान लगाए रखना होगा।
खूब लड़ी सिंधू लेकिन रजत से करना पड़ा संतोष
खूब लड़ी सिंधू लेकिन रजत से करना पड़ा संतोष