सामाजिक कार्यकर्ता का दावा: श्रद्धा को आफताब पर धोखा देने का शक था!

एनजीओ चलाने वाली श्रेहा ने कहा कि श्रद्धा के सामने आर्थिक परेशानियां भी थीं और उसकी आफताब से अक्सर लड़ाई होती रहती थी


मुंबई/दक्षिण भारत/भाषा। कॉल सेंटर कर्मी श्रद्धा वालकर की हत्या के मामले में एक सामाजिक कार्यकर्ता ने दावा किया है कि श्रद्धा को अपने लिव-इन साथी आफताब पूनावाला पर धोखा देने का शक था।

श्रद्धा के साथ मुंबई के एक समुद्र तट पर सफाई अभियान में शामिल हो चुकी सामाजिक कार्यकर्ता श्रेहा धरगलकर ने बताया कि श्रद्धा सफाई अभियान के दौरान काफी शांत और गुमसुम रहती थी।

एनजीओ चलाने वाली श्रेहा ने कहा कि श्रद्धा के सामने आर्थिक परेशानियां भी थीं और उसकी आफताब से अक्सर लड़ाई होती रहती थी।

उन्होंने दावा किया कि श्रद्धा (27) एक छोटा परिवार और एक बच्चा चाहती थी, यह उसका सपना था।

आफताब पूनावाला (28) ने इस साल मई में कथित तौर पर श्रद्धा की गला दबाकर हत्या कर दी थी और उसके शव के 35 टुकड़े करके उन्हें दक्षिण दिल्ली के महरौली स्थित अपने घर में करीब तीन सप्ताह तक 300 लीटर क्षमता के फ्रिज में रखा था। इसके बाद उसने श्रद्धा के शव के इन टुकड़ों को कई दिनों तक दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर फेंका।

दिल्ली पुलिस ने पूनावाला को गिरफ्तार कर लिया है। उसे मंगलवार को दक्षिण दिल्ली में छतरपुर के जंगलों में ले जाया गया और पता लगाने की कोशिश की गई कि उसने श्रद्धा के शव के टुकड़ों को कहां-कहां फेंका।

श्रेहा धरगलकर ने पिछले साल मराठी अभिनेत्री माधुरी संगीता पाटिल के साथ मुंबई के जुहू, वर्सोवा और अक्सा आदि तटों पर सफाई अभियान शुरू किया था।

उन्होंने कहा कि सफाई अभियान में शामिल होने वाली श्रद्धा मुंबई के मलाड स्थित कॉल सेंटर की नौकरी नहीं छोड़ना चाहती थी। हालांकि, पूनावाला ने उस पर ऐसा करने के लिए दबाव बनाया और कहा कि उसे मुंबई और वसई से दूर चले जाना चाहिए, जहां उसका परिवार रहता है।

श्रेहा के अनुसार, पूनावाला को डर था कि श्रद्धा के माता-पिता उसके खिलाफ पुलिस में जा सकते हैं।

श्रेहा ने कहा, ‘श्रद्धा कई चीजों को लेकर चिंतित रहती थी। जब मैंने उससे उसकी उदासी की वजह पूछी तो उसने बताया कि वह तनाव में है। उसने कहा कि वह आर्थिक परेशानियां झेल रही है।’

श्रेहा के मुताबिक, ‘श्रद्धा ने अपने लिव-इन रिश्ते के बारे में नहीं बताया था, लेकिन उसने कहा था कि उसका प्रेमी चाहता है कि वह मुंबई और महाराष्ट्र छोड़ दे।’

About The Author: Dakshin Bharat