बाली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को इंडोनेशिया के बाली में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया, बाली आने के बाद हर हिंदुस्तानी को एक अलग ही अनुभूति होती है, एक अलग ही अहसास होता है। मैं भी वही वाइब्रेशन महसूस कर रहा हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बाली से डेढ़ हजार किलोमीटर दूर, भारत के कटक शहर में महानदी के किनारे 'बाली जात्रा' का महोत्सव मनाया जा रहा है। यह महोत्सव, भारत और इंडोनेशिया के बीच हजारों वर्षों के व्यापारिक संबंधों को सेलिब्रेट करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम लोग अक्सर बातचीत में कहते हैं- दुनिया बहुत छोटी है। भारत और इंडोनेशिया के संबंधों को देखें, तो यह बात बिल्कुल सटीक बैठती है। समंदर की विशाल लहरों ने भारत और इंडोनेशिया के संबंधों को लहरों की ही तरह उमंग से भरा और जीवंत रखा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अपनत्व के विषय में भारत की तारीफ तो होती ही है, लेकिन इंडोनेशिया के लोगों में भी अपनत्व कम नहीं है। पिछली बार जब मैं जकार्ता आया था, तब इंडोनेशिया के लोगों ने जो स्नेह और प्यार दिया, वह मैंने महसूस किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत के इंजीनियर, चार्टर्ड एकाउंटेंट और विभिन्न पेशेवर इंडोनेशिया के साथ कुशलतापूर्वक सहयोग कर रहे हैं। भारत के कई तमिल लोग इंडोनेशिया की संस्कृति को समृद्ध बनाने में बहुत योगदान दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2018 में जब इंडोनेशिया में भूकंप आया था, तब भारत ने ऑपरेशन समुद्र मैत्री शुरू किया था। उस वर्ष मैंने जकार्ता का दौरा किया और कहा कि भारत और इंडोनेशिया 90 समुद्री मील दूर हैं। वास्तव में, दोनों देश 90 समुद्री मील के करीब हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया ने अपनी भूमि की अद्भुत संस्कृतियों को संरक्षित रखने में एक दूसरे की मदद की है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्णिमा का व्रत एकादशी की महिमा, त्रिकाल संध्या के जरिए सूर्य उपासना की परंपरा, मां सरस्वती के रूप में ज्ञान की आराधना, कितना कुछ हमें जोड़ता है!
भारत में अगर हिमालय है, तो बाली में अगुंग पर्वत है। भारत में अगर गंगा है, तो बाली में तीर्थ गंगा है। हम भी भारत में हर शुभ कार्य का श्रीगणेश करते हैं। यहां भी श्रीगणेश घर-घर विराजमान हैं और सार्वजनिक स्थानों पर शुभता फैला रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले और 2014 के बाद के भारत में बहुत बड़ा फर्क स्पीड और स्केल का है। आज भारत अभूतपूर्व स्पीड से काम कर रहा है, अप्रत्याशित स्केल पर काम कर रहा है।
आज जब भारत आत्मनिर्भर भारत का विज़न सामने रखता है, तो उसमें ग्लोबल गुड की भावना भी समाहित हैं। 21वीं सदी में आज विश्व की भारत से अपेक्षाएं हैं, जो आशाएं हैं, भारत उन्हें भी अपनी ज़िम्मेदारी के रूप में देखता है। आज अपने विकास के लिए भारत जब अमृतकाल का रोडमैप तैयार करता है, तो उसमें दुनिया की आर्थिक राजनीतिक आकांक्षाओं का भी समावेश है।