बेंगलूरु/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कर्नाटक के बेंगलूरु में जनसभा को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मैं सौभाग्यशाली हूं कि एक बहुत ही खास दिन पर बेंगलूरु पहुंचा हूं। यह ऐसा दिन है, जब राष्ट्र के दो महान सपूतों- संत कनक दास और महर्षि वाल्मीकि की जयंती होती है। मैं उन दोनों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम बेंगलूरु के, कर्नाटक के विकास और विरासत दोनों को और सशक्त कर रहे हैं। आज कर्नाटक को पहली मेड इन इंडिया वंदे भारत ट्रेन मिली है। कर्नाटक के लोगों को अयोध्या और काशी के दर्शन कराने वाली भारत गौरव काशी दर्शन ट्रेन की भी आज शुरुआत हुई है। आज केंपेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के दूसरे टर्मिनल का भी उद्घाटन हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपने स्टार्टअप के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है और इसे स्टार्टअप हब के रूप में स्थापित करने में बेंगलूरु महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि मुझे नादप्रभु केंपेगौड़ा की 108 फीट की प्रतिमा के अनावरण और उनके जलाभिषेक का भी अवसर मिला। प्रभु केंपेगौड़ा की यह विशाल प्रतिमा हमें भविष्य के बेंगलूरु, भविष्य के भारत के लिए निरंतर मेहनत करने की प्रेरणा देगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे भारत एक्सप्रेस इस बात का प्रतीक है कि भारत अब रुक-रुक कर चलने वाले दिनों को पीछे छोड़ चुका है। भारत अब तेज़ दौड़ना चाहता है और इसके लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साल कर्नाटक देश में एफडीआई आकर्षित करने में अग्रणी था। निवेश केवल आईटी क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, यह बायोटेक से लेकर रक्षा निर्माण तक फैला हुआ है। पिछले तीन वर्षों में, जब दुनिया कोविड से प्रभावित थी, कर्नाटक 4 लाख करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित करने में सफल रहा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार देश में नए हवाईअड्डों का भी निर्माण करा रही है। साल 2014 से पहले देश में लगभग 70 के आसपास हवाईअड्डे थे। अब इनकी संख्या 140 से ज्यादा हो गई है। बढ़ते हुए ये हवाईअड्डे हमारे शहरों का बिजनेस पोटेन्शियल बढ़ा रहे हैं। नौजवानों के लिए नए अवसर भी बना रहे हैं।
आज बात चाहे गवर्नेंस की हो या फिजिकल व डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की, भारत एक अलग ही लेवल पर काम कर रहा है। आज पूरी दुनिया हैरान होती है, जब भारत के डिजिटल पेमेंट भीम यूपीआई के बारे में सुनती है।
मेक इन इंडिया कार्यक्रम की सफलता, 5जी तकनीक, यूपीआई, बेंगलूरु के पेशेवरों के भारी योगदान के बिना कुछ भी संभव नहीं होता। साल 2014 से पहले का भारत वर्तमान समृद्ध और तकनीकी रूप से उन्नत भारत से बिल्कुल अलग था। पिछली सरकारें गति, लग्जरी और स्केल को जोखिम मानती थीं! हमने इस मानसिकता को बिल्कुल बदल दिया है। हम गति, आकांक्षा और स्केल राष्ट्र की ताकत मानते हैं।