लंदन/दक्षिण भारत। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) कर्ज घोटाले के बाद फरार हीरा कारोबारी नीरव मोदी को जोरदार झटका लगा है। ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने उसके भारत प्रत्यर्पण का आदेश दे दिया है।
जानकारी के अनुसार, करीब दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी और काले धन को सफेद करने जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे इस भगोड़े कारोबारी को भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश दे दिया गया है।
इस संबंध में न्यायाधीश जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और न्यायाधीश रॉबर्ट जे ने फैसला सुनाया है। उन्होंने इस साल की शुरुआत में उसकी अपील पर सुनवाई की अध्यक्षता की थी।
उल्लेखनीय है कि नीरव दक्षिण-पूर्व लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है। उसे फरवरी में जिला न्यायाधीश सैम गूजी की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की प्रत्यर्पण के पक्ष में दी गई व्यवस्था के खिलाफ अपील करने की अनुमति मिली थी।
ढाल के तौर पर कर रहा था इस्तेमाल
दरअसल उच्च न्यायालय में अपील पर सुनवाई की यह अनुमति दो आधार पर मिली थी, जिनका इस्तेमाल वह अपने लिए ढाल के तौर पर कर रहा था। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यूरोपीय मानवाधिकार समझौते (ईसीएचआर) के अनुच्छेद 3 के तहत, यदि नीरव की मानसिक स्थिति को देखते हुए उसका प्रत्यर्पण अनुचित या दमनकारी है तो दलीलों पर सुनवाई करने की अनुमति थी और मानसिक सेहत से ही संबंधित प्रत्यर्पण अधिनियम 2003 की धारा 91 के तहत इसकी अनुमति दी गई थी।
ये हैं मामले
बता दें कि नीरव पर दो गंभीर मामले हैं। पहला मामला तो धोखाधड़ी से ऋण समझौता करके या सहमति-पत्र हासिल करके पीएनबी के साथ बड़े स्तर पर जालसाजी करने से संबंधित है। इसकी जांच सीबीआई कर रही है। जबकि दूसरे मामले का संबंध धोखाधड़ी से हासिल किए गए काले धन को सफेद में बदलने से संबंधित है। इसकी जांच ईडी कर रही है।
इसके अलावा सबूत गायब करने, गवाहों को धमकाने के दो अतिरिक्त आरोप भी बताए गए हैं। ये सीबीआई के मामले में जोड़े गए थे। यदि एजेंसियां नीरव मोदी को भारत लाने में सफल हो जाती हैं तो निश्चित रूप से यह उनके लिए बड़ी जीत होगी। इससे अन्य भगोड़ों में खौफ पैदा होगा।