अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन यूक्रेन, उ. कोरिया और ताइवान को लेकर उपदेश देते रहे, दूसरी ओर चीन ने उनकी धरती पर ही अपने 'पुलिस थाने' खोल दिए। यह हैरानी की बात तो है ही, चिंताजनक भी है। जिस एफबीआई को दुनिया की तेज-तर्रार एजेंसी कहा जाता है, उसकी नाक के नीचे न्यूयॉर्क में चीनी थाने खुल जाएं तो निस्संदेह इससे साबित होता है कि चीन ने कहां-कहां घुसपैठ कर रखी है। ऐसा नहीं है कि चीन के ये थाने सिर्फ अमेरिका में हैं। सेफ़गार्ड डिफ़ेडर्स की रिपोर्ट तो यह तक कहती है कि इस तर्ज पर दुनियाभर में ड्रैगन के अवैध थाने चल रहे हैं।
एफ़बीआई के निदेशक क्रिस्टोफ़र व्रे भी इससे अचंभित हैं, लेकिन उनका यह बयान समझ से परे है कि 'एजेंसी इन रिपोर्टों पर नज़र बनाए हुए है'। नज़र बनाए रखने से क्या होगा, ऐसे चीनी अधिकारियों को दंडित करना चाहिए। इस तरह विदेश में थाने खोलना न केवल अवैधानिक है, बल्कि उस देश की संप्रभुता का घोर उल्लंघन है।
हाल में सिनसिनाटी में एक अमेरिकी संघीय अदालत ने चीनी नागरिक को जासूसी के अपराध में 20 साल की सजा सुनाई है। यह व्यक्ति पिछले साल तक अमेरिकी विमानन और एयरोस्पेस कंपनियों के व्यापार रहस्य चुराकर चीन भेजने में लिप्त था। क्या ये 'थाने' ऐसे जासूसों को मदद मुहैया कराने वाले ठिकानों की भूमिका निभा रहे हैं? इस पर जांच होनी चाहिए।
सेफ़गार्ड डिफ़ेंडर्स के अनुसार, ऐसे चीनी थाने लंदन और ग्लासगो में भी हैं। इसके अलावा टोरंटो में थाने का संचालन जारी है। इनके समर्थन में एक तर्क यह दिया जाता है कि इससे विदेश में बसे चीनियों को आवश्यक सेवाएं प्राप्त करने में आसानी होती है। सवाल है- क्या कानून सम्मत आवश्यक सेवाएं दूतावास के जरिए उपलब्ध नहीं कराई जा सकतीं? वास्तव में इन 'थानों' का मकसद चीनी नागरिकों को सेवाएं देना बिल्कुल नहीं है।
ये चीन के खतरनाक मंसूबों को पूरा करने की कड़ी हैं, जिनके जरिए चीन विरोधी कार्यकर्ताओं, उइगर मुसलमानों और मानवाधिकार संगठनों की आवाज बंद करने की कोशिश की जाती है। हालांकि चीन ऐसे किसी भी थाने के अस्तित्व को साफ तौर पर खारिज करता है, लेकिन वास्तविकता कुछ और है। इन 'थानों' का इस्तेमाल जासूसी, ब्लैकमेलिंग, धमकी, प्रताड़ना आदि के लिए किया जाता है।
कुछ साल पहले एक उइगर मुस्लिम के परिजन का साक्षात्कार यूट्यब पर खूब चर्चित हुआ था, जिनके मुताबिक, वह चीनी उत्पीड़न से परेशान होकर मिस्र चला गया था। वहां चीन की पोल खोलने लगा। एक दिन कुछ लोगों ने उसका अपहरण कर लिया। उसकी आंखों पर कपड़ा बांधकर अनजान जगह ले गए। वहां कपड़ा हटाया तो वह सन्न रह गया। वे चीन के पुलिस अधिकारी थे। उन्होंने उस ठिकाने को चीनी थाने का रूप दे रखा था। इसके बाद उस शख्स को खूब पीटा गया और अपना मुंह बंद रखने की धमकी दी गई।
कोई आश्चर्य नहीं अगर ऐसे थाने अन्य देशों में भी धड़ल्ले से चल रहे हों। ये चीनी जासूसी नेटवर्क का हिस्सा हैं, जिन्हें संबंधित सरकारों को समय रहते ध्वस्त कर देना चाहिए, अन्यथा ये भविष्य में बड़ी मुसीबत बन जाएंगे।