पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां लंबे समय से भारतीय सेना और सुरक्षा बलों के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही हैं। इन दिनों राजस्थान में सरहदी इलाकों के आस-पास रहने वाले लोगों के मोबाइल फोन पर जिस तरह के संदेश आ रहे हैं, उनका मकसद भी भारतीय सेना और सुरक्षा बलों के प्रति जनता के विश्वास को कमजोर करना है। देश की जनता इस झांसे में आने वाली नहीं है, इसलिए उसने इन संदेशों की जानकारी संबंधित भारतीय अधिकारियों को दे दी।
इन संदेशों को गंभीरता से लेना चाहिए, क्योंकि इनका मकसद सिर्फ भारतीय सेना और सुरक्षा बलों की छवि धूमिल करना नहीं है, बल्कि इससे कहीं ज्यादा है। इनमें किसानों को यह कहते हुए दुष्प्रचार की कोशिश की जा रही है कि सेना और बीएसएफ के जवान प्रशिक्षण आदि के नाम पर उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, लिहाजा मुआवजा चाहिए तो उनके प्रशिक्षण की तस्वीरें और जानकारी दिए गए नंबरों पर भेजें। इसका सीधा-सा अर्थ यह है कि जाने-अनजाने में सेना और सुरक्षा बलों की जासूसी करें।
पाकिस्तानी एजेंसियां नैतिक रूप से कितनी पतित हैं! अब वे निहित स्वार्थों के लिए भोलेभाले ग्रामीणों का उनके ही देश के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहती हैं। यह सरहदी इलाका बहुत संवेदनशील है। यहां कई बार पाकिस्तान के लिए जासूसी करते लोग पकड़े जा चुके हैं। चूंकि इन रास्तों से सेना और सुरक्षा बलों के वाहन आते-जाते रहते हैं। युद्धाभ्यास भी होते हैं, इसलिए पाकिस्तान उन पर नज़र रखना चाहता है। भारतीय एजेंसियां काफी सतर्कता बरती हैं, जिस वजह से पाक के मंसूबे कामयाब नहीं हो पाते। वह तरह-तरह के हथकंडे आजमाता रहता है।
जिस समय तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन जारी था, सोशल मीडिया में ऐसी पोस्ट देखी गईं, जिनमें सिक्ख सैनिक की तस्वीर के साथ यह दुष्प्रचार किया गया कि भारतीय सेना में उनके साथ 'भेदभाव' हो रहा है, भारत सरकार किसानों का 'उत्पीड़न' कर रही है! वह पोस्ट गुरुमुखी में थी यानी उसका पूरा जोर पंजाब के जवानों और किसानों को बरगलाना था। बाद में पता चला कि उस पोस्ट का स्रोत पाकिस्तान में था। इसलिए सोशल मीडिया में जो भी पोस्ट आए, उस पर आंखें मूंदकर विश्वास और शेयर करने से बचें।
फेक न्यूज ने डिजिटल मीडिया की विश्वसनीयता को पहले ही खतरे में डाल दिया है। वहीं, पाकिस्तान से आ रहीं ऐसी फर्जी पोस्ट देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता को खतरे में डालने का षड्यंत्र हैं। सरहदी इलाकों में लोगों के पास केबीसी लॉटरी के फर्जी संदेश भी आते रहते हैं। इसके अलावा फोन कॉल पर जानकारी लेने की कोशिश की जाती है। अगर थोड़ी-सी सावधानी बरतें तो इनसे बचा जा सकता है।
आमतौर पर पाकिस्तानियों का हिंदी उच्चारण बहुत दूषित होता है। प्राय: उनकी ऐसी सोशल मीडिया पोस्ट गूगल ट्रांसलेशन पर आधारित होती हैं, जिनमें ज्यादा जोर भारतीय सेना व सुरक्षा बलों की छवि धूमिल करने; स्थानीय इलाकों की तस्वीरें, जानकारी, खुद के दस्तावेजों की प्रति, फोन नंबर, सैन्य एवं प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय, परिवार आदि से संबंधित जानकारी हासिल करने पर होता है। शत्रु के ऐसे किसी भी षड्यंत्र से बचें और जनता के बीच जागरूकता का प्रचार करें।