अतिथि सत्कार

मुट्ठीभर तादाद ऐसे तत्त्वों की भी है, जो अपने कृत्यों से देश की छवि खराब करते हैं

संबंधित राज्य सरकारें इनके खिलाफ कठोर से कठोर कदम उठाएं और पर्यटकों को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराएं

मुंबई में दक्षिण कोरियाई महिला पर्यटक से छेड़छाड़ की घटना अक्षम्य है। लाइव स्ट्रीमिंग के कारण पूरे घटनाक्रम का वीडियो आ गया, इसलिए आरोपियों की गिरफ्तारी में आसानी रही, वरना न इसका खुलासा होता और न ये लोग पकड़े जाते। भारत में हर साल लाखों की तादाद में पर्यटक आते हैं। हमारी संस्कृति भी हमें यही सिखाती है कि अतिथि का देवता के समान आदर-सत्कार करें, ताकि जब वह स्वदेश लौटे तो अच्छी यादें लेकर जाए और उसके अनुभव सुनकर और लोग यहां घूमने आएं। 

जब विदेशी, खासतौर से दक्षिण कोरिया के नागरिक भारत के बारे में ऑनलाइन सर्च करते हैं तो वे इसे ऐसा देश पाते हैं, जहां मेहमानों का खुले दिल से स्वागत होता है, जिसकी प्राचीन सभ्यता, संस्कृति, आध्यात्मिकता और विविधता ... सबकुछ अद्भुत है। दक्षिण कोरिया में बहुत लोग भारतीय फिल्में देखकर हिंदी सीख रहे हैं। कई तो सिर्फ इसलिए भारत आना चाहते हैं, ताकि वे भारतीय खानों का लुत्फ उठा सकें, जो दक्षिण कोरिया में सुलभ नहीं हैं। 

जब इतनी उम्मीदें लेकर कोई पर्यटक यहां आता है तो भारत के हर नागरिक की जिम्मेदारी बनती है कि वह उसके साथ सहयोग करे, शालीनता से पेश आए। ज्यादातर लोग यही करते हैं, लेकिन मुट्ठीभर तादाद ऐसे तत्त्वों की भी है, जो अपने कृत्यों से देश की छवि खराब करते हैं। संबंधित राज्य सरकारें इनके खिलाफ कठोर से कठोर कदम उठाएं और पर्यटकों को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराएं।

जब कोई पर्यटक भारत आता है तो वह अपने साथ रोजगार की लंबी शृंखला लेकर भी आता है। वाहन, होटल, रेस्टोरेंट, गाइड और दुकानों से लेकर कई क्षेत्रों से जुड़े लोग उससे रोजगार पाते हैं। देश के राजस्व का बड़ा हिस्सा पर्यटन से आता है। अगर सरकारें और आसानी करें, सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराएं तो इसमें बहुत बढ़ोतरी हो सकती है। 

भारत के प्रति दुनिया में बहुत आकर्षण है। हमें इस क्षमता का भरपूर उपयोग करना चाहिए। अब ऑनलाइन के ज़माने में अच्छी/बुरी बातें ज्यादा तेजी से फैलती हैं। जो पर्यटक भारत से कड़वे अनुभव लेकर जाते हैं, वे बाद में ऑनलाइन भड़ास निकालते हैं। सोशल मीडिया पर विदेशी पर्यटकों द्वारा की गईं टिप्पणियों में कुछ ऐसी शिकायतें मिलती हैं - 'चीजों की ज्यादा कीमत वसूली गई, थोड़ी-सी दूरी के लिए वाहन चालक ने लंबा चक्कर लगाया, कुछ लोगों ने अशालीन व्यवहार किया/घूरा, सार्वजनिक स्थानों पर सफाई ठीक नहीं थी, आवारा पशु घूम रहे थे, भिखारी बार-बार तंग कर रहे थे ...!' 

निश्चित रूप से ये टिप्पणियां पढ़कर कोई विदेशी पर्यटक भारत आने के लिए उत्साहित नहीं होगा। वह इसके बजाय ऐसे देश में जाना चाहेगा, जो उसे अधिक अनुकूल लगेगा। सरकारों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। 'अतिथि देवो भव:' हमारे व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन का मंत्र है, जिसका सबको अक्षरश: पालन करना होगा। अगर कोई व्यक्ति विदेशी पर्यटक से शालीन व्यवहार करता है और लेन-देन में ईमानदारी बरतता है तो वह देश की छवि, अर्थव्यवस्था और आदर्श के उच्च प्रतिमान गढ़ने में योगदान करता है, जो निस्संदेह देशप्रेम का कार्य है।

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