नई दिल्ली/भाषा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की विभिन्न उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में ‘मजबूत है एवं दबाव झेलने में समर्थ है’ तथा सरकार राजकोषीय घाटे, महंगाई एवं भारतीय मुद्रा की स्थिरता को लेकर प्रतिबद्धता से काम कर रही है।
लोकसभा में 2022-23 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों के पहले बैच और 2019-20 के लिए अनुदान की अतिरिक्त मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के समय वर्ष 2008-09 में वैश्विक आर्थिक संकट के बाद दो अनुपूरक मांगें प्रस्तुत की गई थीं और तब इसमें बजट के अतिरिक्त 20 प्रतिशत राशि की मांग रखी गई थी।
उन्होंने कहा कि महामारी के बाद वर्ष 2020-21 में भी दो अनुदान की अनुपूरक मांग रखी गई थीं और तब मूल बजट की 19 प्रतिशत राशि की मांग की गयी थी। सीतारमण ने कहा कि इस वित्त वर्ष में अनुपूरक मांग में मूल बजट की केवल आठ प्रतिशत राशि की अतिरिक्त मांग की गई है।
वित्त मंत्री ने संकेत दिया कि आगामी बजट सत्र में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए एक बार और अनुदान की अनुपूरक मांगों को पेश किया जा सकता है।
महंगाई पर विपक्षी दलों के सवालों पर सीतारमण ने कहा कि पिछले समय में महंगाई में लगातार कमी आई है, सरकार इसे और कम करेगी तथा आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर उसकी लगातार नजर है।
उन्होंने कहा, ‘महंगाई में गिरावट आई है। नवंबर 2022 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के तहत मुद्रास्फीति 5.88 प्रतिशत रही जो अक्टूबर में 6.77 प्रतिशत थी।’
पूर्ववर्ती संप्रग सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि 2013 में इसी अवधि में मुद्रास्फीति की दर 18 और 19 प्रतिशत थी।
वित्त मंत्री ने कहा कि थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में 11 महीने के सबसे निचले स्तर पर दर्ज की गई है।
रुपए में गिरावट के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए सीतारमण ने कहा कि भारतीय मुद्रा दुनिया के अन्य महत्वपूर्ण देशों की मुद्रा की तुलना में मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भी रुपया मजबूत हुआ है।
वित्त मंत्री ने आंकड़ा देते हुए कहा कि डॉलर के मुकाबले जापान, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, चीन और इंडोनेशिया जैसे देशों की मुद्रा में जितनी गिरावट दर्ज की गई, उसकी तुलना में भारत की मुद्रा रुपए में डॉलर की तुलना में कम गिरावट आई है।
मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने 2022-23 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों के पहले बैच और 2019-20 के लिए अनुदान की अतिरिक्त मांगों तथा इससे संबंधित विनियोग विधेयकों को मंजूरी दे दी। अनुदान की अनुपूरक मांग के तहत 3.25 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त व्यय के लिए संसद की मंजूरी मांगी गई थी।
सीतारमण ने विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के 500 अरब डॉलर से अधिक होने का उल्लेख किया गया है और भारत की वृद्धि को अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में तेज गति से बढ़ने की बात भी कही गई है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सकल गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) में मार्च 2022 में कम होकर 7.28 प्रतिशत दर्ज की गई हैं।
उन्होंने कहा कि एनपीए में तेजी से कमी आ रही है और सरकार ने बेहतर तरीके से इसे संभाला है। उन्होंने कहा कि भारत को उर्वरक उत्पादन में आत्म-निर्भर बनाने के लिए काम किया जा रहा है।
मनरेगा का उल्लेख करते हुए सीतारमण ने कहा कि पिछले कुछ दिन में मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में काम की मांग में कमी आई है और यह मांग आधारित कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में मनरेगा कोष पर मार्च 2022 से रोक है क्योंकि अनेक लोगों की तरफ से अनियमितताओं की शिकायत आ रही है।
वित्त मंत्री ने कहा कि जब तक इस संबंध में राज्य सरकार आवश्यक स्पष्टीकरण नहीं देगी तब तक मनरेगा कानून के तहत सरकार धन रोक कर रखेगी। सीतारमण ने कहा कि बजट से लेकर आज तक गरीबों को 200 रुपए प्रति सिलेंडर की सब्सिडी दी जा रही है तथा अनुदान की अनुपूरक मांगों में इस पर राशि रखी गई है।
वित्त मंत्री ने कहा कि संप्रग के समय रेपो दर आठ प्रतिशत थी और आवास ऋण पर ब्याज दर 10 प्रतिशत से अधिक हो गई थी, लेकिन अब रेपो दर केवल 6.25 प्रतिशत है और आवास ऋण की ब्याज दर 8.20 प्रतिशत है।
अनेक केंद्रीय योजनाओं को खत्म करने के एक सदस्य के आरोप पर वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने बजट के समय यह जानकारी प्रस्तुत की थी कि 130 योजनाओं को प्रभावी बनाने के लिए अब 65 योजनाओं में मिला दिया गया है और कोई योजना बंद नहीं हुई है।
सरकार ने अनुदान की अनुपूरक मांग के तहत 3.25 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त व्यय के लिए संसद की मंजूरी मांगी थी। इसमें से 3.25 लाख करोड़ रु. नकद निवल व्यय के रूप में है, जबकि विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों की बचत और बढ़ी हुई प्राप्तियों या वसूलियों के जरिए 1.10 लाख करोड़ रु. का प्रावधान किया जाएगा।
इसमें 1.09 लाख करोड़ रु. की राशि उर्वरक सब्सिडी के भुगतान के मद में है। इसके अलावा 80,348.25 करोड़ रु. खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के व्यय को पूरा करने के लिए है, जो मुख्य रूप से गरीबों को नि:शुल्क खाद्यान्न प्रदान करने के मद से जुड़ा है।