बेंगलूरु/दक्षिण भारत। समस्त जैन समाज बेंगलूरु द्वारा जैन शासन के दो महातीर्थ- अनंत सिद्धों की भूमि शाश्वत गिरिराज शत्रुंजय महातीर्थ एवं 20-20 तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि, कल्याणक क्षेत्र सम्मेदशिखरजी महातीर्थ की रक्षा के लिए सरकार को ज्ञापन देने के लिए बेंगलूरु के फ्रीडम पार्क में सांकेतिक धरने का आयोजन किया।
बेंगलूरु में विराजित आचार्य श्री महासेनसूरीश्वरजी म.सा., आचार्य श्री अरविंदसागरसूरीश्वरजी म. सा. और बेंगलूरु में विराजित अन्य साधु भगवंत, साध्वीजी श्री संस्कारनिधिश्रीजी म.सा. और बेंगलूरु में विराजित अन्य साध्वीजी भगवंतों के आशीर्वाद से बैंगलोर में जैन समाज के प्राचीनतम अग्रणी श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर संघ, चिकपेट जो श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ है, ने दिगम्बर, स्थानकवासी, तेरापंथी - चारों संप्रदाय के साथ मिलकर तीर्थों की रक्षा के लिए आयोजन किया।
फ्रीडम पार्क में बेंगलूरु में समस्त जैन समाज की ओर से अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
बेंगलूरु में श्री अमोघकीर्तिजी एवं मुनि श्री अमरकीर्ति के आशीर्वाद से और 5 भट्टारकजी श्री सिद्धांतकीर्तिजी, श्री भुवनकीर्तिजी, श्री भानूकीर्तिजी, श्री लक्ष्मीसेनजी, श्री थवलकीर्तिजी के सान्निध्य में इस धरने में सभा हुई।
जैन युवा संगठन के अध्यक्ष दिनेशजी खिवेसरा ने सभी का हार्दिक स्वागत किया। गौतमचंद सोलंकी अध्यक्ष श्री आदिनाथ जैन श्वेतांबर संघ, चिकपेट; प्रसन्नैया जैन, अध्यक्ष, कर्नाटक जैन एसोसिएशन, दिगंबर समाज, बेंगलूरु; पुखराजजी मेहता, अध्यक्ष, श्री एआईएसएस जैन कॉन्फ्रेंस कर्नाटक; कमल दूगड़, अध्यक्ष, श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा भवन, गांधीनगर, बेंगलूरु आदि मौजूद थे। इस दौरान अनेक लोगों ने अपने उद्बोधन दिए। श्वेताम्बर समाज की ओर चम्पालाल दांतेवाडिया, दिगंबर समाज की ओर से कमुदा ने मंच संचालन किया।
श्री आदिनाथ चिकपेट संघ के अध्यक्ष गौतम सोलंकी ने कहा कि मंदिर से फ्रीडम पार्क तक महारैली 28 दिसंबर को सुबह 9 बजे होने वाली थी, लेकिन प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने के कारण रैली को स्थगित किया। यह बताता है कि जैन लोग कानून को कितना मान देते हैं।
बताया गया कि शत्रुंजय गिरिराज का कण-कण जैन धर्मावलंबियों के लिए पूजनीय है। गिरिराज साक्षात मूर्ति स्वरूप हैं और जैनियों की इस मान्यता को मुगल बादशाहों, ब्रिटिश सरकार और वर्तमान सरकार ने भी मान्य रखा है, जिसकी पुष्टि गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा भी की गई है।
बताया गया कि झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ियों पर स्थित सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का और एक बड़ा तीर्थ है। पारसनाथ पहाड़ियों में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के राज्य सरकार के कदम उचित नहीं है। पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव के बाद अगस्त 2019 में पारसनाथ अभयारण्य के आसपास एक पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र अधिसूचित किया था और पर्यावरण-पर्यटन गतिविधियों को मंजूरी दी थी। पर्यटन के नाम पर वर्जित चीजें आएंगी, होटलों की भरमार होगी, तीर्थ की पवित्रता नष्ट होगी, मर्यादाओं में कमी आएगी, जिससे नैतिक पतन भी होगा। यह सब जैन समुदाय को मंजूर नहीं है।
सब वक्ताओं की ओर से एक ही आवाज थी कि जो हमारा अधिकार है, वो हमें प्राप्त होना ही चाहिए। पूरी सभा ने इसका समर्थन किया। आदिनाथ जैन श्वेताम्बर संघ, चिकपेट के सचिव कांतिलालजी ने सभी महानुभावों को धन्यवाद दिया।