भारत-तिब्बत सीमा पर घुसपैठ चीन की ओर से ही की गई: तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख

घुसपैठ की सभी घटनाएं एकपक्षीय रही हैं

भारत-तिब्बत सीमा पर घुसपैठ चीन की ओर से ही की गई: तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख

उन्होंने यहां कहा, ‘हम जानते हैं कि घुसपैठ पूरी तरह चीन की तरफ से हो रही हैं’

कोलकाता/भाषा। तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख या सिक्योंग पेनपा शेरिंग ने मंगलवार को कहा कि भारत-तिब्बत सीमा पर घुसपैठ की सभी घटनाएं एकपक्षीय रही हैं और यह चीन की ओर से ही की गई हैं।

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शेरिंग ने एक साक्षात्कार में कहा कि तिब्बत ने 1914 की संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें उसके और भारत के बीच ‘मैकमोहन रेखा’ पर सीमा निर्धारित की गई। उन्होंने कहा कि तब से तवांग भारत का अभिन्न हिस्सा है।

उन्होंने यहां कहा, ‘हम जानते हैं कि घुसपैठ पूरी तरह चीन की तरफ से हो रही हैं।’

वह तवांग और लद्दाख में भारतीय सेना तथा चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच संघर्षों की घटनाओं के संदर्भ में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘1959 तक भारत और चीन के बीच कोई सीमा नहीं थी, यह तिब्बत के साथ थी। हम 1914 के शिमला समझौते के पक्षकार हैं और मैकमोहन रेखा को वैध सीमा मानते हैं।’

शेरिंग ने कहा, ‘हम तवांग को पूरी तरह से भारत का एक अखंड हिस्सा मानते हैं।’

चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के अत्याचारों के खिलाफ तिब्बतियों ने विद्रोह किया था, जिसके बाद 1959 में तिब्बत सरकार के तत्कालीन प्रमुख दलाई लामा ल्हासा से भारत आ गए थे।

बहरहाल, कम्युनिस्ट चीन के 1950 में तिब्बत पर आक्रमण करने के बाद भी दलाई लामा की सरकार ने चीन के साथ एक व्यवस्था के तहत, अपनी सेना के साथ काम करना जारी रखा। चीन ने बाद में तिब्बत को एक स्वायत्त क्षेत्र के रूप में मान्यता दी थी।

दलाई लामा के अपने अनुयायियों के साथ भारत पहुंचने के बाद ही चीन ने बयानों के जरिए ‘मैकमोहन रेखा’ का विरोध करना शुरू कर दिया और फिर उसका भारत के साथ सीमा विवाद शुरू हुआ।

शेरिंग ने कहा, ‘चीन ने भारतीय पक्ष के किसी उकसावे के बिना आक्रामकता दिखाई है। भारत अपने रुख पर कायम है और चीन को कड़ा संदेश देता है।’

भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच तवांग के उत्तर पूर्व में यांग्त्से में संघर्ष हुआ था, जिसमें दोनों पक्षों के कई सैनिक घायल हुए।

उन्होंने कहा, ‘चीन केवल ताकत का सम्मान करता है।’

दलाई लामा के ल्हासा से भारत आने के बाद से सिक्योंग या तिब्बत के प्रमुख को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले तिब्बती समुदाय द्वारा सीधे चुना जाता है।

शेरिंग ने कहा कि चीन का कई एशियाई देशों के साथ विवाद रहा है और वह इन्हें सुलझाने का इच्छुक नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘जब अमेरिका-चीन संबंधों की बात आती है तो वे (चीनी) शिकायत करते हैं कि उन्हें समान नहीं माना जाता, लेकिन जब एशिया में अन्य देशों की बात आती है तो वे कभी उनसे समान बर्ताव नहीं करते।’

शेरिंग ने दावा किया कि चीन की ‘ताइवान तथा तवांग जैसे हॉट स्पॉट’ को विवादों में बनाए रखने की नीति है ताकि उसकी नाकामियों पर से ध्यान हटाया जा सके।

उन्होंने कहा कि चीन अपनी आर्थिक गतिविधियों को बनाए रखने में सफल नहीं रहा है और अपने यहां कोविड-19 वैश्विक महामारी के हालात भी नियंत्रित नहीं कर सका।

शेरिंग ने कहा, ‘अब जब पूरी दुनिया उबर गई है, वह फिर से संक्रमण फैलाना चाहता है ... जो कि बेहद गैर-जिम्मेदाराना है।’

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