युवाओं को आकर्षित करने के लिए बेंगलूरु के कॉफी हाउस अब नए अवतार में

आईएचसी का प्रबंधन करने वाले बोर्ड ने कॉफी हाउस में काफी बदलाव किए हैं

अब यह सिर्फ बुजुर्गों ही नहीं, युवा पीढ़ी के लिए भी जुटने का एक अनुकूल स्थल बन गया है

बेंगलूरु/भाषा। कर्नाटक की राजधानी बेंगलूरु में अंबेडकर मार्ग पर स्थित इंडिया कॉफी हाउस (आईसीएच) अपने स्वर्ण जयंती वर्ष में युवा पीढ़ी के लिए एक नया अवतार धारण कर रहा है।

वर्ष 1972 में कॉफी बोर्ड ऑफ इंडिया परिसर में शुरू होने वाला आईसीएच विधानसौध, उच्च न्यायालय और आसपास स्थित अन्य सरकारी व निजी कार्यालयों के ग्राहकों का पसंदीदा स्थान रहा है।

आईएचसी का प्रबंधन करने वाले बोर्ड ने कॉफी हाउस में काफी बदलाव किए हैं। अब यह सिर्फ बुजुर्गों ही नहीं, युवा पीढ़ी के लिए भी जुटने का एक अनुकूल स्थल बन गया है।

हालांकि, कॉफी हाउस का फर्नीचर पुराना ही है, लेकिन दीवार, छत और लाइटिंग की व्यवस्था में बदलाव किया गया है।

इसके अलावा, आईसीएच के बरामदे में घास के बीच बैठने की व्यवस्था की गई है, जिससे अंबेडकर मार्ग और विश्वेसरैया टावर दिखता है।

वाणिज्य विभाग के अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल और कॉफी बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) डॉ. केजी जगदीश ने इसका उद्घाटन किया।

जगदीश ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘इसे आधुनिक बनाने और अधिक से अधिक कॉफी प्रेमियों को आकर्षित करने के लिए कॉफी बोर्ड ने दो महीने पहले आईसीएच में बदलाव का काम शुरू किया था।’ उन्होंने बताया कि आईसीएच का नवीनीकरण करने में लगभग 22 लाख रुपए का खर्च आया है।

उन्होंने बताया कि नए ढांचे के तहत कॉफी तैयार करने की नई विधियों को भी जोड़ा गया है।

जगदीश ने कहा, ‘हमारे नियमित कर्मी और मेन्यू वही रहेगा। कॉफी, डोसा, इडली, सैंडविच भी वही रहेंगे। युवा पीढ़ी को आकर्षित करने के लिए हमने ‘मिट्टी कैफे’ से अनुबंध किया है। इसमें वे आपको ऐसा मेन्यू देंगे, जो हम अभी तक नहीं देते थे, जैसे एसप्रेसो कॉफी और फास्ट फूड जैसी चीजें।

कॉफी बोर्ड ने अपनी विरासत को बनाए रखने के लिए नवीनीकरण कार्य किया।

अग्रवाल ने बताया, ‘हमने नवीनीकरण इसलिए किया क्योंकि यह कॉफी बोर्ड की एक पहल है। हम कॉफी हाउस की विरासत को खत्म नहीं होने देना चाहते थे और इसीलिए हम इसे तरोताजा कर रहे हैं और नई पीढ़ी से जोड़ रहे हैं।’

कॉफी बोर्ड के एक बयान के अनुसार, आईसीएच शृंखला की शुरुआत भारतीय कॉफी हाउस की कॉफी सेस समिति ने थी और इसका पहला आउटलेट 1936 में तत्कालीन बंबई के चर्चगेट में खोला गया था।

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