बेंगलूरु/दक्षिण भारत। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बेंगलूरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) को विभाग के सात अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया, जिन्होंने निजी कंपनियों को यहां कोडिगेहल्ली और कोटिहोसाहल्ली में सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण करने और उन पर आवासीय परिसर बनाने की अनुमति दी थी।
न्यायालय ने बीडीए आयुक्त को दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय नियमों के तहत उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। साथ ही येलहंका के तहसीलदार के खिलाफ 15 दिनों के भीतर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने का भी आदेश दिया।
मुख्य न्यायाधीश पीबी वरले की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले को 2 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दिया था, जो कोडिगेहल्ली निवासी अश्वत्थ नारायण द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इससे पहले, न्यायालय के निर्देश के तहत, बेंगलूरु शहरी उपायुक्त ने जांच की थी और सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को रिपोर्ट पेश की थी।
येलहंका के तहसीलदार ने अतिक्रमण को लेकर शपथपत्र भी सौंपा था। रिपोर्ट और हलफनामे के आधार पर न्यायालय ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया।
उक्त भूमि पर संपत्ति के मालिकों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता ने समय मांगा, चूंकि वे इससे प्रभावित होंगे। हालांकि, न्यायालय ने उन्हें शिकायत को तहसील ले जाने का निर्देश दिया।