जब से इंटरनेट सुविधा सुलभ हुई है, सोशल मीडिया पर भ्रामक और फर्जी सामग्री के प्रसार में काफी बढ़ोतरी हो गई है। देशवासियों को मुहैया कराई जा रही यह सुविधा तीव्र होने के साथ स्वच्छ भी होनी चाहिए। इसके लिए संबंधित एजेंसियों को ऐसे स्रोतों पर नजर रखनी चाहिए, जिनका उद्देश्य ही झूठी सामग्री का प्रसार करना है। यह दुष्प्रचार के अलावा आर्थिक अपराध को अंजाम देने का तरीका भी हो सकता है।
इस सामग्री में खासतौर से युवाओं को आकर्षित करने के लिए ऐसी तस्वीरें लगाई जाती हैं, जिन पर क्लिक करते ही मोबाइल फोन में वायरस आ जाता है। देश में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। साइबर अपराधी बेलगाम न हो जाएं, इसके लिए बहुत जरूरी है कि समय रहते उन पर शिकंजा कसा जाए। अब केंद्र सरकार ने छह ऐसे यूट्यूब चैनलों के खिलाफ कार्रवाई की है, जो झूठी सूचना फैला रहे थे।
आश्चर्य की बात है कि इन चैनलों के सब्सक्राइबर करीब 20 लाख हैं। इनके वीडियो 51 करोड़ से ज्यादा बार देखे गए हैं। अगर उनमें से 10 प्रतिशत ने भी इनकी सामग्री पर भरोसा किया होगा तो यह बहुत बड़ा आंकड़ा होता है। निस्संदेह नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होनी चाहिए। वे सरकार की आलोचना करने के लिए स्वतंत्र हैं। वे इंटरनेट के जरिए अपने विचार साझा कर सकते हैं, लेकिन इस स्वतंत्रता के साथ कुछ दायित्व भी हैं। ऐसा नहीं हो सकता कि अभिव्यक्ति के नाम पर भ्रामक, झूठी और भड़काऊ सामग्री का प्रसार शुरू कर दें।
आज मोबाइल फोन पर इंटरनेट चलाकर देखें तो सरकारी नौकरी, यूपीएससी के साक्षात्कार, सरकारी योजना और निवेश सलाह के नाम पर ऐसी सामग्री की भरमार मिलेगी, जिसका हकीकत से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। कई बार ऐसी पोस्ट प्रशासन के लिए मुसीबत बन जाती हैं।
एक राज्य में वॉट्सऐप पर यह ख़बरनुमा पोस्ट खूब वायरल होने लगी कि 'केंद्र सरकार खास योजना लेकर आई है, जिसके तहत आर्थिक सहायता चाहिए तो फलां बैंक शाखा से संपर्क करें।' लोगों ने इसे सच मान लिया। बैंक शाखा में भीड़ उमड़ पड़ी। कर्मचारी समझा-समझाकर परेशान हो गए कि ऐसी कोई योजना नहीं है, लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं थे।
वॉट्सऐप पर एक और 'ख़बर' वायरल हुई थी, जिसमें दावा किया गया था कि 'केंद्र सरकार छठव्रत करने वालों को तोहफे के तौर पर हजारों रुपए भेजेगी। जिसे यह राशि चाहिए, वह नजदीकी पोस्ट ऑफिस से संपर्क करे!' फर्जी ख़बर चलाने वालों का काम पूरा हुआ, अब जनता कतारों में लगे और पोस्ट ऑफिस वाले जवाब दें।
कई यूट्यूब चैनल ज्यादा से ज्यादा दर्शकों को आकर्षित करने के लिए मशहूर लोगों की 'मृत्यु' को लेकर झूठी ख़बर चला देते हैं। इस मंच पर आए दिन चर्चित नेताओं, खिलाड़ियों, अभिनेताओं, अभिनेत्रियों की 'मृत्यु' की खबरें प्रसारित होती रहती हैं, जबकि उस समय वे लोग सकुशल होते हैं। फर्जी ख़बरों के नतीजे कितने भयानक हो सकते हैं, यह हाल में पूरी दुनिया ने देखा, जब ट्विटर ने शुल्क लेकर आनन-फानन में ब्लू टिक देने शुरू कर दिए थे। एक खुराफाती ने ब्लू टिक लेकर बड़ी फार्मा कंपनी की ओर से घोषणा कर दी कि 'हम इंसुलिन मुफ्त देने जा रहे हैं!' इस 'घोषणा' से कंपनी का शेयर धराशायी हो गया और उसे करीब 1.20 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
एक और शख्स ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के नाम से अकाउंट बनाकर ब्लू टिक ले लिया और इराकी नागरिकों के बारे में अभद्र ट्वीट करने लगा। इस समय, जब रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है, चीन-अमेरिका के बीच तनातनी है, उ. कोरिया तरह-तरह के मिसाइल परीक्षण कर रहा है, भारत-पाक के संबंध कड़वे हैं ... कोई खुराफाती शख्स इंटरनेट का अनुचित उपयोग करते हुए बड़ी अफवाह फैला दे तो उससे विश्वशांति को गंभीर खतरा हो सकता है। इसलिए हर देश की जिम्मेदारी है कि वह इंटरनेट को ऐसे तत्त्वों से मुक्त रखे, विज्ञान के इस वरदान को स्वच्छ रखे।