औरंगाबाद/भाषा। महाराष्ट्र के बीड जिले में एक गांव के निवासियों ने अपने बच्चों का बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने के वास्ते जिला परिषद द्वारा संचालित एक स्कूल के उन्नयन के लिए सरकार पर निर्भर रहने के बजाय धन और भूमि सहित संसाधनों का स्वयं प्रबंध किया है।
इस स्कूल को तत्काल मरम्मत की आवश्यकता थी और इसमें छात्रों के बैठने की व्यवस्था के लिए पर्याप्त जगह की कमी थी।
औरंगाबाद शहर से लगभग 160 किलोमीटर दूर स्थित पोखरी गांव के निवासियों ने कहा कि उन्होंने अब तक ‘क्राउडफंडिंग’ (बड़ी संख्या में व्यक्तिगत निवेशकों के सामूहिक प्रयासों से पूंजी जुटाने की विधि) के माध्यम से 39 लाख रुपए जुटाए हैं और चार ग्रामीणों ने स्कूल के विस्तार के लिए एक एकड़ से अधिक जमीन दान की है। इस स्कूल में पहली से सातवीं कक्षा तक के छात्र पढ़ते हैं।
इमारत का उन्नयन और निर्माण कार्य 2018 में शुरू हुआ था, लेकिन यह 2020 में महामारी के चलते बाधित हो गया। अब अगले शैक्षणिक वर्ष तक इस कार्य के पूरा होने की संभावना है। इस गांव में करीब 1,300 लोग रहते हैं और इनमें से ज्यादातर किसान एवं गन्ना मजदूर हैं।
राम फाल्के नाम के एक ग्रामीण ने कहा, ‘गांव में जिला परिषद द्वारा संचालित एक स्कूल है, जहां स्थानीय बच्चे पढ़ते हैं। इसमें चार कमरे हैं और इनमें से दो की हालत बहुत खराब हो गई थी और इनकी तत्काल मरम्मत की जरूरत थी। सरकारी एजेंसी ने मरम्मत कार्य के लिए कुछ धन दिया था, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। स्कूल में जगह की भी कमी थी।’
उन्होंने कहा कि इसलिए ग्रामीणों ने स्कूल के लिए नया भवन बनाने के लिए मुहिम चलाई ताकि छात्रों को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
फाल्के ने कहा, ‘चार ग्रामीणों ने आगे आकर इस उद्देश्य के लिए 2018 में एक एकड़ से अधिक भूमि दान की।’
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने शुरू में ‘क्राउडफंडिंग’ के जरिए 18 लाख रुपए जुटाए, लेकिन यह रकम काफी नहीं थी।
फाल्के ने कहा, ‘हमारे गांव की मिट्टी काली है। चूंकि इस तरह की मिट्टी पर निर्माण में कुछ चुनौतियां आती हैं, इसलिए स्कूल विस्तार परियोजना के लिए कुछ अतिरिक्त धन की आवश्यकता थी।’
उन्होंने कहा कि कोरोनो वायरस महामारी के कारण 2020 में निर्माण कार्य बाधित हो गया।
फाल्के ने कहा कि कोविड-19 से संबंधित प्रतिबंध हटाए जाने के बाद और धन एकत्र किया गया तथा अब तक जुटाई गई कुल राशि 39 लाख रुपए है। उन्होंने कहा कि यह राशि स्कूल में छह कमरों के निर्माण के लिए है, लेकिन फर्श के काम के लिए अब भी कुछ अतिरिक्त राशि की आवश्यकता है।
दादा खिलारे नाम के एक अन्य ग्रामीण ने कहा, ‘हम लगभग 135 छात्रों की समस्या का समाधान कर रहे हैं। अभी हमारे बच्चे खुले मैदान में और पेड़ों की छांव में पढ़ रहे हैं। हम अगले सप्ताह गणतंत्र दिवस पर नए स्कूल में राष्ट्रीय ध्वज फहराना चाहते हैं, लेकिन भवन अगले शैक्षणिक वर्ष तक पूरी तरह से तैयार होगा।’
बीड जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. ज्ञानोबा मोकाते ने कहा कि इस गांव के ज्यादातर लोग किसान और गन्ना मजदूर हैं।
उन्होंने कहा, ‘उनका कहना है कि उनके गांव से कोई अधिकारी नहीं बना है। वे अपने बच्चों को अधिकारी बनते देखना चाहते हैं और इसलिए उन्होंने यह पहल की।’
मोकाते ने कहा कि ग्रामीणों के प्रयासों को देखते हुए जिला परिषद ने स्कूल परियोजना में उनकी मदद करने का फैसला किया है और खेल का मैदान, स्कूल के चारों और दीवार एवं रसोई के लिए शेड बनाने समेत अन्य काम कराने की योजना बनाई है।