नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी से द्विपक्षीय वार्ता के बाद संयुक्त रूप से प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और मिस्र विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से हैं। हमारे बीच कई हज़ार वर्षों का अनवरत नाता रहा है। चार हजार वर्षों से भी पहले, गुजरात के लोथल पोर्ट के माध्यम से मिस्र के साथ व्यापार होता था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में स्थितियों में विभिन्न परिवर्तनों के बावजूद, मिस्र के साथ हमारा संबंध बरकरार है। हमारे संबंध की नींव स्थिर रही है, और समर्थन मजबूत हुआ है। इस वर्ष भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान मिस्र को अतिथि देश के रूप आमंत्रित किया है, जो हमारी विशेष मित्रता को दर्शाता है।
हमने आज अपने रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को और मज़बूत करने, काउंटर-टेररिज्म संबंधी सूचना एवं इंटेलिजेंस का आदान-प्रदान बढ़ाने का भी निर्णय लिया है। भारत और मिस्र दोनों वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के बढ़ते मामलों को लेकर चिंतित हैं। हम दोनों अपने रुख को साझा करते हैं कि आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है और इससे सबसे मजबूत संभव दृष्टिकोण से निपटा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, और भारत और मिस्र इसके खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे। दोनों देशों के बीच सामरिक समन्वय पूरे क्षेत्र में शांति और समृद्धि के क्षेत्र में मददगार होगा। इसलिए आज की बैठक में राष्ट्रपति सिसी और मैंने, हमारी द्विपक्षीय भागीदारी को रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर ले जाने का निर्णय लिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और मिस्र 'रक्षा' और 'सुरक्षा' सुनिश्चित करने के लिए असंख्य तरीके साझा करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में हमारे सशस्त्र बलों के बीच संयुक्त अभ्यास प्रशिक्षण और विभिन्न क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की घटनाएं देखी गई हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कट्टरता और अतिवाद फैलाने के लिए साइबरस्पेस का दुरुपयोग दुनिया में अब सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है। हम संयुक्त रूप से इसका सामना करने के रास्ते पर हैं।