नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जयपुर महाखेल के प्रतिभागियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जयपुर महाखेल में मेडल जीतने वाले और इस प्रतियोगिता में शामिल होने वाले प्रत्येक खिलाड़ी, कोच और उनके परिजन को बहुत-बहुत बधाइयां। आप सब जयपुर के खेल मैदान में केवल खेलने के लिए न उतरें, आप जीतने के लिए भी उतरें और सीखने के लिए भी उतरें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में खेल प्रतियोगिताओं की बढ़ती संख्या और 'खेल महाकुंभ' का आयोजन एक बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है, जिसे देश गले लगा रहा है। राजस्थान की धरती तो अपने युवाओं के जोश और सामर्थ्य के लिए ही जानी जाती है। इतिहास गवाह है कि इस वीर धरा की संतान रणभूमि को भी अपने शौर्य से खेल का मैदान बना देती है। इस राज्य ने देश को कितनी ही खेल प्रतिभाएं दी हैं, जिन्होंने मेडल देकर देश की शान को बढ़ाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के इस 'अमृतकाल' में देश नई-नई परिभाषाएं गढ़ रहा है और नई व्यवस्थाओं का निर्माण कर रहा है। देश में आज पहली बार खेलों को भी सरकारी चश्मे से नहीं, बल्कि खिलाड़ियों की नज़र से देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राजस्थान में खेल की परंपराओं ने यहां के खिलाड़ियों के शारीरिक और मानसिक विकास में अहम भूमिका निभाई है। इस वर्ष लगभग 6,500 एथलीटों के साथ 600 से अधिक टीमों का भाग लेना खेल के क्षेत्र में देश की एक बड़ी उपलब्धि को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार के आम बजट में खेल विभाग को करीब 25,000 करोड़ रु. का बजट आवंटित किया गया है। जबकि 2014 से पहले खेल विभाग का बजट 800-850 करोड़ रु. के आस-पास ही रह जाता था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार अब जिला स्तर और स्थानीय स्तर तक खेल सुविधाएं बना रही है। अब तक देश के सैकड़ों जिलों में लाखों युवाओं के लिए खेल बुनियादी ढांचा तैयार किया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी को भी अधिकतम बजट दिया गया है। हमारा प्रयास है कि स्पोर्ट्स मैनेजमेंट और स्पोर्ट्स तकनीकी से जुड़ी हर विधा को सीखने का माहौल मिले, जिससे युवाओं को इस क्षेत्र में करियर बनाने का अवसर मिलेगा।