जो पहले खुद को दूर-सुदूर समझता था, अब सरकार जा रही उसके द्वार: मोदी

प्रधानमंत्री ने आदि महोत्सव का उद्घाटन किया

जब देश आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति को प्राथमिकता देता है तो प्रगति के रास्ते अपने आप खुल जाते हैं

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव 'आदि महोत्सव' का उद्घाटन किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आप सबको 'आदि महोत्सव' की हार्दिक शुभकामनाएं। ऐसा लग रहा है कि जैसे भारत की अनेकता और भव्यता आज एक साथ खड़ी हो गई हैं। 

यह भारत के उस अनंत आकाश की तरह है, जिसमें उसकी विविधताएं इंद्रधनुष की तरह उभर कर सामने आ जाती हैं। ये अनंत विवधिताएं हमें एक भारत - श्रेष्ठ भारत के सूत्र में पिरोती हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह महोत्सव विकास और विरासत के विचार को और अधिक जीवंत बना रहा है। जो पहले खुद को दूर-सुदूर समझता था, अब सरकार उसके द्वार जा रही है, उसको मुख्यधारा में ला रही है। आदिवासी समाज का हित मेरे लिए व्यक्तिगत रिश्तों और भावनाओं का विषय है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आपके बीच आकर मुझमें अपनों से जुड़ने का भाव आता है। मैंने देश के कोने-कोने में आदिवासी समाज और परिवार के साथ अनेक सप्ताह बिताए हैं। मैंने आपकी परंपराओं को करीब से देखा भी है, उनसे सीखा भी है और उनको जिया भी है। आदिवासियों की जीवनशैली ने मुझे देश की विरासत और परंपराओं के बारे में बहुत कुछ सिखाया है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले आठ-नौ वर्षों में 'आदि महोत्सव' जैसे आयोजन देश के लिए एक आंदोलन बन गए हैं। मैं भी कई आयोजनों में भाग लेता हूं; मैं ऐसा इसलिए करता हूं, क्योंकि आदिवासी समाज का कल्याण मेरे लिए व्यक्तिगत भी है और भावनात्मक भी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब मैं सक्रिय राजनीति में नहीं था, तब आदिवासी समुदायों और परिवारों के पास जाता था और उनके साथ पर्याप्त समय बिताता था। मैंने आदिवासी समाज की प्रथाओं से सीखा भी है और जिया भी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज वैश्विक मंचों से भारत आदिवासी परंपरा को अपनी विरासत और गौरव के रूप में प्रस्तुत करता है। आज भारत विश्व को बताता है कि अगर आपको जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों का समाधान चाहिए तो हमारे आदिवासियों की जीवन परंपरा देख लीजिए, आपको रास्ता मिल जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम कैसे प्रकृति से संसाधन लेकर भी उसका संरक्षण कर सकते हैं, इसकी प्रेरणा हमें आदिवासी समाज से मिलती है। भारत के जनजातीय समाज द्वारा बनाए जाने वाले उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है और ये विदेशों में निर्यात किए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 80 लाख से ज्यादा सेल्फ हेल्प ग्रुप आज अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे हैं, जिसमें सवा करोड़ से ज्यादा सदस्य हमारे जनजातीय भाई-बहन हैं और इनमें भी बड़ी संख्या हमारी माताओं-बहनों की है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ट्राइबल प्रोडक्ट्स ज्यादा से ज्यादा बाजार तक आएं, इनकी पहचान बढ़े, इनकी डिमांड बढ़े, सरकार इस दिशा में भी लगातार काम कर रही है। देश के अलग-अलग राज्यों में तीन हजार से अधिक 'वन धन विकास केंद्र' स्थापित किए गए हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज करीब 90 लघु वन उत्पादों पर सरकार एमएसपी दे रही है। आज सरकार का जोर जनजातीय आर्ट्स को प्रमोट करने, जनजातीय युवाओं के स्किल को बढ़ाने पर भी है। देश में नए जनजातीय शोध संस्थान खोले जा रहे हैं। इन प्रयासों से जनजातीय युवाओं के लिए उनके अपने ही क्षेत्र में नए अवसर बन रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इनमें से 400 से ज्यादा स्कूलों में पढ़ाई शुरू भी हो चुकी है और एक लाख से ज्यादा जनजातीय छात्र इन स्कूलों में पढ़ाई भी करने लगे हैं। आदिवासी बच्चे देश के किसी भी कोने में हों, उनकी शिक्षा और उनका भविष्य मेरी प्राथमिकता है। साल 2004 से 2014 के बीच केवल 90 'एकलव्य स्कूल' खुले थे, जबकि 2014 से 2022 तक हमने 500 से ज्यादा 'एकलव्य स्कूल' स्वीकृत किए हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना इस वर्ष के बजट में शुरू की गई है, जो वित्तीय सहायता, कौशल प्रशिक्षण और विपणन सहायता प्रदान करेगी। यह आदिवासी समुदायों के लिए रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेगी।

जब देश आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति को अपनी प्राथमिकता देता है, तो प्रगति के रास्ते अपने आप खुल जाते हैं। हमारी सरकार में 'वंचितों को वरीयता' के मंत्र को लेकर, देश विकास के नए आयाम को छू रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी युवाओं को भाषा की बाधा के कारण बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प भी खोल दिया गया है। अब हमारे आदिवासी बच्चे, आदिवासी युवा अपनी भाषा में पढ़ सकेंगे, आगे बढ़ सकेंगे। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जा रहा है। देश के हजारों गांव, जो पहले वामपंथी उग्रवाद से ग्रस्त थे, उन्हें 4जी कनेक्टिविटी से जोड़ा जा रहा है। यहां के युवा अब इंटरनेट और इंफ़्रा के जरिए मुख्यधारा से कनेक्ट हो रहे हैं।

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