बेंगलूरु/दक्षिण भारत। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि पत्थर उद्योग की सबसे बड़ी जिम्मेदारी टिकाऊ खनन रही है। शनिवार को यहां भारतीय ग्रेनाइट और पत्थर उद्योग द्वारा आयोजित स्टोना-2023 पंद्रहवें अंतरराष्ट्रीय ग्रेनाइट और पत्थर मेले के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने न्यूनतम कचरे के लिए आधुनिक तकनीक के अधिकतम उपयोग पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि सरकार खनन उद्योग के विकास में मदद करने के लिए अपनी नीतियों को सरल बना रही है। लाइसेंस और अन्य मुद्दों को मुख्य धारा में लाया जाना चाहिए। किसी भी कीमत पर किसी भी उद्योगपति को बेवजह परेशान नहीं किया जाना चाहिए और सरकार सभी बाधाओं को दूर करने के लिए तैयार है। यदि उद्योग इन मानदंडों के तहत काम करने के लिए तैयार है तो पारदर्शिता और दक्षता लाना संभव है। खनन उद्योग में नवीनतम मशीनरी आ गई है और इटली ने इस संबंध में बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नाटक की खनन नीति राजस्थान और गुजरात की खनन नीति से अलग है और खनन में भी काफी अंतर है। राज्य की अपनी प्राथमिकताएं हैं, क्योंकि यहां विश्व का सर्वश्रेष्ठ लौह अयस्क उपलब्ध है। सरकार ने उद्योग हितैषी नीति बनाई है और कारोबार करना आसान हुआ है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग बनी रहनी चाहिए। इसके लिए इस प्रकार की बैठक उत्पादन और विपणन में सुधार लाने के लिए सूचनाओं के आदान-प्रदान का मंच बने।
उन्होंने कहा कि टिकाऊ खनन किया जाना चाहिए, क्योंकि यह राष्ट्र, खनन और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होगा। अंधाधुंध खनन भविष्य को चुराने जैसा है। आधुनिक मशीनरी के उपयोग से जितना संभव हो, कचरे को कम किया जाना चाहिए। अवैज्ञानिक खनन से अधिक बर्बादी होती है और इससे न केवल अर्थव्यवस्था, बल्कि मालिकों को भी नुकसान होता है। स्टोना ने स्टोन माइनिंग के लिए अच्छा प्लेटफॉर्म प्रदान किया है।
उन्होंने कहा कि पत्थर का रूप बनने में हजारों साल लग जाते हैं। पत्थर प्रकृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसने पृथ्वी को ताकत दी है। यहां तक कि पत्थरों ने भी मनुष्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पत्थर और मनुष्य का संबंध प्राचीन है। पत्थरों से घरों, बंगलों और देश का निर्माण हुआ है।
इस अवसर पर खनन एवं भूविज्ञान मंत्री हलप्पा अचार, एसोसिएशन के अध्यक्ष ईशिंदर सिंह, सचिव कृष्ण प्रसाद और अन्य लोग उपस्थित थे।