कर्मफल

भारत को परेशान करने वाले वे आतंकवादी आज पाक में खुले दनदना रहे हैं

पाकिस्तान ने आतंकवाद का जो जिन्न बाहर निकाला था, वह वापस बोतल में जाने के लिए तैयार नहीं है

पाकिस्तान के कराची में पुलिस प्रमुख के कार्यालय पर टीटीपी के हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपी वैद के ये शब्द उचित ही हैं कि आज पाक कर्मों का फल भुगत रहा है। जब मुंबई में 26/11 हमले कर पाकिस्तानी आतंकवादियों ने कहर बरपाया था तो पाकिस्तान में खुशी की लहर थी। पाक की आम जनता में ऐसे लोगों की काफी तादाद है, जो उसे बड़ी फतह करार देती है। 

भारत को परेशान करने वाले वे आतंकवादी आज पाक में खुले दनदना रहे हैं और जहां मन करता है, धमाके कर देते हैं। पिछले दिनों पेशावर की पुलिस लाइन क्षेत्र की मस्जिद में जबरदस्त धमाका हुआ था, जिसमें लगभग 100 लोगों की जान चली गई थी। अब कराची में पुलिस प्रमुख के कार्यालय पर धावा बोलना बताता है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद का जो जिन्न बोतल से बाहर निकाला था, वह वापस (बोतल में) जाने के लिए तैयार नहीं है, बल्कि बेकाबू हो गया है। 

आज पाक जिस आतंकवाद की आग में झुलस रहा है, उसकी चिंगारी उसने ही जलाई थी। उसने सीआईए के इशारे पर आतंकवादी संगठन खड़े किए थे, ताकि अफगानिस्तान से सोवियत संघ को पीछे धकेल सके। कालांतर में सोवियत सेनाएं लौट गईं, उनके देश का विखंडन हुआ, लेकिन पाकिस्तान ने जो लड़ाके तैयार किए थे, उनके पुनर्वास के लिए कुछ नहीं किया। 

रावलपिंडी के जनरलों का मंसूबा यह था कि इन्हें जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ कराकर भारत को परेशान करेंगे। निस्संदेह इससे भारत को नुकसान हुआ। यहां आतंकवादी घटनाएं हुईं, कई लोगों की जानें गईं, लेकिन इस बीच पाक स्थित आतंकवादी संगठन इतने मजबूत हो गए कि अपने आकाओं की गद्दी पर काबिज होने का सपना देखने लगे।

आज जो टीटीपी वहां बम धमाके कर रही है, वह पाकिस्तान की सरकार, फौज और पुलिस को 'गुमराह' मानती है। उसके मुताबिक, ये पश्चिम की कठपुतलियां हैं, जिन्हें उखाड़ फेंकना चाहिए। टीटीपी का इरादा पाकिस्तान की सत्ता हथियाना है। जो पाकिस्तान अफगानिस्तान को अपना पांचवां सूबा बनाने का सपना देखा करता था, आज उसके ही पाले आतंकवादी इस्लामाबाद में बादशाह होने का ख्वाब देख रहे हैं, धमाके कर रहे हैं। 

एसपी वैद के इन शब्दों पर ध्यान देना चाहिए कि नब्बे के दशक के आखिर में और कारगिल युद्ध के बाद कश्मीर में ऐसे हमले होते थे। इनके लिए मदद पाकिस्तान मुहैया कराता था, ताकि भारत का ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो। आज उसी तर्ज पर पाकिस्तान में आतंकवादी घटनाएं हो रही हैं। सत्य है, जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है, एक दिन खुद उसमें गिरता है। यह कर्मफल है, जो पाक को भुगतना ही होगा। 

पाकिस्तान में बम धमाके तो पहले भी होते थे, लेकिन हाल में इनमें तेजी आई है। ये ज्यादा घातक हुए हैं। पाक में जब से जनरल आसिम मुनीर ने थल सेना प्रमुख का ओहदा संभाला है, ऐसे हमले बढ़े हैं। माना जाता है कि इन घटनाओं के पीछे कुछ 'असंतुष्ट' लोगों का दिमाग है, जो मुनीर से खार खाए बैठे हैं। इनमें आईएसआई के पूर्व प्रमुख ले. जनरल फैज हमीद का नाम लिया जाता है, जिनका मुनीर से छत्तीस का आंकड़ा है। अगर मुनीर का नाम आगे नहीं बढ़ाया जाता तो वे थल सेना प्रमुख पद के सबसे मजबूत दावेदार होते। 

पाकिस्तान के एक मंत्री रियाज पीरजादा तो यह दावा कर चुके हैं कि फैज हमीद टीटीपी को मुल्क में वापस लाना चाहते थे। उनका इस संगठन के प्रति नरम रुख रहा है। कोई आश्चर्य नहीं, अगर आने वाले समय में इस्लामाबाद, कराची, लाहौर, पेशावर ... जैसे शहरों में पुलिस/फौज के दफ्तरों से भी ऐसे हमलों की ख़बरें आएं। कर्मफल तो अटल है!

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