भारत में बढ़तीं ऊर्जा ज़रूरतों के बीच सरकार जिस तरह 'हरित विकास' पर जोर दे रही है, वह अत्यधिक प्रासंगिक है। निस्संदेह विकास हर देश की जरूरत है, लेकिन उसके साथ पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए। आज ऊर्जा के ऐसे विकल्प तलाशने की बात हो रही है, जिससे जरूरतें भी पूरी हों और पर्यावरण को नुकसान न हो। भारत इस 'ऊर्जा क्रांति' में उल्लेखनीय भूमिका निभा सकता है।
प्रधानमंत्री ने इसके लिए जिन तीन स्तंभों का जिक्र किया, उन पर गौर कीजिए: 'नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाना, अपनी अर्थव्यवस्था में जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना तथा देश को तेजी से गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ाना।'
इसी सिलसिले में पूर्व में इथेनॉल ब्लेंडिंग, पीएम कुसुम योजना, सोलर मैन्यूफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहन, रूफटॉप सोलर स्कीम, कोयला गैसीकरण और बैटरी स्टोरेज जैसे उपायों की घोषणाएं की गईं, जिनके लाभ देर-सबेर जरूर मिलेंगे। देश को नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को और बढ़ाने की जरूरत है।
हालांकि इस सन्दर्भ में देश का रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है। उसने लक्ष्य तिथि से नौ साल पहले स्थापित बिजली क्षमता में गैर-जीवाश्म ईंधन से 40 प्रतिशत योगदान का लक्ष्य प्राप्त कर लिया, जो बड़ी उपलब्धि है। यही नहीं, देश ने समय से पांच महीने पहले ही पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने के लक्ष्य को भी प्राप्त कर लिया, जो बताता है कि निकट भविष्य में यह तस्वीर और सुनहरी होगी।
भारत को पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल की मात्रा का लक्ष्य पाने के लिए 2030 तक इंतजार नहीं करना होगा। यह उपलब्धि 2025-26 तक हासिल हो जाएगी। स्वयं प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की है, जिससे पता चलता है कि सरकार इस दिशा में गंभीरता से प्रयास कर रही है।
निस्संदेह भविष्य 'हरित विकास' का ही है। जो देश समय रहते इसकी तैयारियां कर लेंगे, वे फायदे में रहेंगे। जो कार्बन उत्सर्जन वाले विकल्पों पर कायम रहेंगे, वे उसकी बड़ी कीमत चुकाएंगे। भारत सरकार को चाहिए कि वह सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा जैसे विकल्पों को बढ़ावा दे। ऐसी आकर्षक नीतियां बनाए कि लोग इन विकल्पों को अपनाने के लिए आगे आएं।
प्राय: ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां सौर एवं पवन ऊर्जा के लिए भरपूर संभावना है, लोगों को इस बात की पर्याप्त जानकारी नहीं है कि वे उपकरण कहां से लें और कैसे स्थापित करें। निस्संदेह प्रधानमंत्री ने यह उचित ही कहा है कि 'भारत में सौर, पवन और बायोगैस की क्षमता हमारे निजी क्षेत्र के लिए किसी सोने की खान या तेल क्षेत्र से कम नहीं है।'
भारत में साल के अधिकांश महीनों में खूब धूप होती है। ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां तेज हवाएं चलती हैं। वहीं, ग्रामीण भारत में पशुधन खूब है। ये तीनों बिंदु भविष्य के लिए बेहतर संभावनाएं पेश करते हैं। हमें इनका लाभ लेना चाहिए। सऊदी अरब, जिसके पास तेल के भंडार हैं, वह भी धीरे-धीरे ऊर्जा के नए स्रोतों को अपना रहा है। वह तबुक प्रांत में सुपर स्मार्ट शहर निओम बना रहा है, जहां पेट्रोल-डीजल जैसे पदार्थों की जगह स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल होगा।
क्या वजह है कि तेल से समृद्ध यह देश इतना बड़ा कदम उठा रहा है? दरअसल सऊदी अरब उन देशों में शुमार हो गया है, जो खुद को भविष्य की ऊर्जा जरूरतों के लिए तैयार कर रहे हैं। वह इस शहर में धूप और हवा से बिजली बनाएगा। कार्बन उत्सर्जन पर कड़ा नियंत्रण रखेगा। जिस तरह इज़राइल दीवारों पर खेती करता है, सऊदी अरब भी ऐसा करेगा, चूंकि वह अपने खानपान की जरूरत का ज्यादातर हिस्सा अन्य देशों से मंगवाता है।
पिछले दिनों संयुक्त अरब अमीरात का निर्माणाधीन 93 किमी लंबा इनडोर सुपर हाईवे काफी चर्चा में रहा था, जो भविष्य की ऊर्जा और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों की झलक पेश करता है। यह देश भी पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम कर लोगों को साइकिल चलाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। धरती और इन्सान की सेहत का रास्ता 'हरित विकास' में ही है। हर देश को इस दिशा में कदम बढ़ाने होंगे।